INTRODUCTION
INTRODUCTION
INTRODUCTION
जापान के Tokyo शहर से उड़ान के महज 15 मिनट बाद, 24000 फ़ीट की उचाई पर उड़ रहे Japan Airline के Boeing 747 प्लेन में हुआ जोरदार धमाका।
धमाके से उड़ गया प्लेन का पिछला हिस्सा
एक बेजान पत्थर की तरह आसमान से गिरते हुए प्लेन में सवार 524 लोगो की जिंदगी लगी दावं पर
मौत को साक्षात अपने सामने देख कर भी पायलट कैसे बहादुरी से इस बेकाबू हुए प्लेन को काबू करने की हर संभव कोशिश करते है।
Japan Air flight 123 के साथ हुए इस हादसे से जुडी सभी जानकारी के लिए बने रहिये हमारे साथ
CASE STUDY
CASE STUDY
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JA8119 नाम से registered Boeing 747 सीरीज का ये प्लेन 1974 में जापान airline को डिलीवर किया था। एक्सीडेंट से पहले इस प्लेन ने लगभग 18000 बार उड़ान भर कर 25000 घंटो का हवाई सफर पूरा किया था
इसी तरह अपनी एक regular उड़ान के दौरान 2 June, 1978 को जापान के ही Itami Airport पर लैंडिंग करते वक़्त प्लेन का पिछला हिस्सा रनवे से टकरा कर बुरी तरह damage हो गया था। इस accident के कारण प्लेन के पिछले हिस्से में बने AFT pressure bulkhead को काफी नुक्सान पहुंचा था. हालाँकि repair करने के बाद ये प्लेन फिर से अपनी regular उड़ान भरने लगा था. लेकिन सही तरीके से रिपेयर ना होने के कारण प्लेन के pressure bulkhead में आये दरार धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी. किसी को भी शायद इसका अन्दाज़ा तक नहीं था की ये छोटी सी लापरवाही एक दिन टाइम बम की तरह फट कर सैकंडो लोगो की जान ले लेगी
इस एक्सीडेंट के लगभग 7 साल बाद , 12 August 1985 , जापान के टोक्यो शहर का Haneda Airport
जापान Airline फ्लाइट 123 टोक्यो से Osaka जाने की तैयारी कर रही थी। एक एक कर 509 पैसेंजर्स के साथ 15 क्रू मेंबर्स फ्लाइट में सवार होते है
अपने पूर्वजो की याद में मनाये जाने वाले Oban festival के कारण ये जापान में छुटियों का वक़्त था और प्लेन पूरी तरह से भरा हुआ था। प्लेन में सफर करने वाले ज्यादातर लोग छुटियों में अपने home town जा रहे थे।
कॉकपिट में 39 वर्षीय first officer Yutaka sasi आज कप्तान के तोर पर प्लेन उड़ाने वाले थे। पिछले 6 सालो से Boeing 747 की 4000 घंटो से ज्यादा के फ्लाइंग एक्सपीरियंस के बाद आज first officer Yutaka sasi के लिए ये एक तरह का exam था जिसके बाद उन्हें official तोर Boeing 747 का कप्तान बनाया जाना था।
49 वर्षीय कप्तान Masami takahama आज first अफसर पर नज़र रखने के लिए दूसरे पायलट के तोर पर प्लेन में सवार थे। 1966 से पायलट रहते हुए कप्तान Masami takahama ने लगभग 12000 घंटो का फ्लाइंग एक्सपीरियंस हासिल किया था।
दोनों पायलट के ढीक पिछली तरफ, 46 वर्षीय फ्लाइट इंजीनियर Hiroshi fukada बैठे हुए थे। 10000 घंटो से भी ज्यादा के फ्लाइंग एक्सपीरियंस के साथ फ्लाइट इंजीनियर Hiroshi की इस प्लेन में आज की ये तीसरी उड़ान थी। सुबह से इस प्लेन की पिछली 2 उड़ानों में भी फ्लाइट इंजीनियर Hiroshi ही काम कर रहे थे।
और शाम के लगभग 6 बजकर 5 मिनट पर फ्लाइट 123 departure gate से roll off शुरू करती है
टैक्सी वे से होते हुए प्लेन धीरे धीरे रनवे की तरफ बढ़ता है
शाम के लगभग 6 बजकर 12 मिनट पर फर्स्ट ऑफिसर Yutaka sasi रनवे से प्लेन को टेकऑफ करते है
Tokyo से oska की ये फ्लाइट महज 1 घंटे की थी। अपनी इस छोटी से फ्लाइट के लिए जैसे ही ये प्लेन 24000 के crusing attitude पर पहुँचता तो तुरंत ही वो लैंडिंग के लिए decend शुरू कर देता
उस दिन जापान के ज्यादातर हिस्सों में तेज़ हवा और बारिश के साथ साथ हल्के फुल्के तूफ़ान की भी आशंका थी , जिसको ध्यान में रखते हुए पायलट रास्ते में आने वाले तूफ़ान से बचने के लिए फ्लाइट 123 के route को थोड़ा सा बदलकर south में समुन्दर के ऊपर से ले जाने का plan करते है
Normal प्रोसेस के अनुसार जब भी कोई प्लेन अपनी ऊंचाई बढ़ाता है तो ऊंचाई पर हवा पतली होने के कारण प्लेन के बाहर हवा का दबाव कम होने लगता है
अब ताकि प्लेन के अंदर बैठे हुए यात्री आराम से सांस ले सके , इसलिए प्लेन के अंदर हवा के दबाव को बढ़ाने के लिए इंजन से प्लेन के अंदर हवा भरी जाती है।
कॉकपिट में लगे हुए instrument panel पर नज़र रखते हुए फ्लाइट engineer cabin के अंदर हवा के दबाव को प्रोसेस के अनुसार बढ़ाते जा रहे थे।
जब हवा का दबाव बढ़ाया जाता है तो हवा प्लेन के ढांचे पर अंदर से बाहर की तरफ प्रेशर डालती है। और प्लेन का मजबूत ढांचा इसे आसानी से सहन करता है।
लेकिन किसी को भी ये अंदाज़ा नहीं था की 7 साल पहले हुए उस एक्सीडेंट के कारण प्लेन के पिछले हिस्से में बना pressure bulkhead काफी कमजोर हो चूका था और उसमे आयी दरार वक़्त के साथ साथ और भी ज्यादा बढ़ गई थी।
शाम के 6 बजकर 24 मिनट, टेकऑफ के महज 12 मिनट बाद प्लेन जब 24000 की ऊंचाई पर पहुंचा तो एक तेज़ धमाके से pressure bulkhead के साथ साथ tail का काफी बड़ा पिछला हिस्सा टूट कर प्लेन से अलग हो गया।
हवा के दबाव के कारण ये धमाका इतना बड़ा था tail और bulkhead compartment के अलावा , rudder , auxiliary power unit और दूसरे कई महत्वपूर्ण part टूट कर प्लेन से अलग हो गए।
इतनी तेज़ स्पीड से हवा का दबाव कम होते ही पैसेंजर केबिन में रखा हुआ सामान और प्लेन के कई छोटे हिस्से टूट कर तेज़ी से केबिन के बाहर खींचे चले गए।
air प्रेशर के कम होते ही केबिन में oxygen mask लटकने लगे
फ्लाइट क्रू ने तुरंत ही सभी पैसेंजर को oxygen mask और सीट बेल्ट लगाने के लिए कहा
ये सब देखते ही कप्तान ने तुरंत transponder पर 7700 का stress signal transmit कर दिया , जिसका काम ATC tower और आस पास उड़ रहे सभी प्लेन को ये बताना होता है की प्लेन में कोई बहुत बड़ी मुसीबत आ गयी है।
कप्तान ने तुरंत ही first officer को प्लेन वापस मोड़ कर tokyo जाने के लिए कहा
वापस जाने के लिए जैसे ही first officer ने प्लेन को right side में मोड़ा तो प्लेन काबू से बाहर हो कर तेज़ी से एक तरफ झुकने लगा.
फर्स्ट officer अपनी पूरी ताकत लगा कर प्लेन को सीदा करने की कोशिश करते है लेकिन लाख कोशिश के बावजूद भी first officer प्लेन को सीदा नहीं कर पा रहा था। लग रहा था जैसे प्लेन के सभी system fail हो गए है।
तभी फ्लाइट इंजीनियर की नज़र अपने सामने बने हुए कण्ट्रोल पैनल पर जाती है। एक एक कर सभी hydrulic pressure मीटर zero रीडिंग दिखाने लगते है।
Flight engineer के साथ साथ pilot भी समझ जाते है की प्लेन के सभी hydrulic systems fail हो चुके है
किसी भी प्लेन में hydrulic system के fail हो जाने का मतलब है मौत , यानी अब प्लेन को किसी भी तरह कण्ट्रोल नहीं किया जा सकता।
किसी भी प्लेन के tail part में लगा हुआ rudder ही प्लेन की direction या height को कण्ट्रोल करता है।
Raudder की मदद के बिना प्लेन की direction change करना या उसकी height को कम ज्यादा करना नामुमकिन होता है।
एक पर कटे हुए पक्षी की तरह असंतुलित होकर प्लेन तेज़ी से दाएं बाएं झुकने लगा। Aviation की जुबान में प्लेन के इस तरह हिलने को Dutch roll कहा जाता है
अपनी पूरी जान लगा कर दोनों पायलट प्लेन को सीधा करने की हर संभव कोशिश करते है
लेकिन यहाँ सिर्फ प्लेन को सीधा करना ही मुसीबत नहीं थी , hydrulic pressure fail होने के कारण प्लेन का elivator भी fail हो चूका था जिसके कारण प्लेन कभी तेज़ी से हज़ारो फ़ीट नीचे गिर रहा था और कभी अचानक ऊपर उठ रहा था।
पैसेंजर केबिन में सभी को साक्षात मौत अपने सामने दिखाई दे रही थी और कई पैसेंजर ने अपने चाहने वालो के लिए आखिरी खत लिखने शुरू कर दिए थे
इतनी खौफनाक हालात में भी केबिन क्रू बड़ी ही हिम्मत के साथ पैसेंजर की सीट बेल्ट बांधने और oxygen mask लगाने में मदद कर रहे थे। मौत को साक्षात सामने देख कर भी अपने फ़र्ज़ को निभाने वाले उन जांबाज़ crew members हो हम अपने चैनल और viewers के माध्यम से शत शत नमन करते है
वही कॉकपिट में बिना oxygen mask लगाए पायलट और flight engineer अभी भी किसी तरह प्लेन को काबू करने की कोशिश कर रहे थे.
दिमाग में तेज़ी से oxygen level कम होने कारण पायलट और flight इंजीनियर hypoxia का शिकार होते जा रहे थे. hypoxia के कारण हमारे दिमाग के सोचने समझने और decission लेने की क्षमता कम हो जाती है और इंसान धीरे धीरे बेहोशी की हालत में जाने लगता है
हालांकि प्लेन के rudder के टूट जाने के कारण प्लेन की हाइट को कम या ज्यादा करना मुश्किल था लेकिन प्लेन की engine power thrust को कम ज्यादा करते हुए पायलट अब किसी तरह प्लेन को तेज़ी से ऊपर या नीचे जाने से रोक रहे थे। जब भी प्लेन तेज़ी से नीचे जाने लगता वो इंजन thrust को बड़ा देते। वही प्लेन के तेज़ी से ऊपर जाते वक़्त वो engine thrust को काम कर देते।
ATC लगातार pilot को कॉल करके प्लेन में आयी इमरजेंसी के बारे में जानने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन ऐसी हालात में पायलट्स का पूरा ध्यान और कोशिश किसी तरह प्लेन को सही सलामत उड़ाए रखने की थी इसलिए कप्तान ने First officer को ATC की call को नज़रअंदाज़ करके सिर्फ प्लेन को काबू करने के लिए कहा।
वही flight engineer केबिन क्रू को intercom पर कॉल करके प्लेन में हुए उस धमाके के बारे में जानने की कोशिश करता है। केबिन क्रू जब flight engineer को बताती है की प्लेन का काफी बड़ा पिछला हिस्सा टूट गया है और सभी पैसेंजर सिर्फ oxygen mask के सहारे ही सांस ले रहे है तो flight enginner तुरंत ही कप्तान को प्लेन नीचे ले जाने के लिए कहते है ताकि कम ऊंचाई पर जाने के बाद सभी पैसेंजर बिना oxygen mask के भी सांस ले सके।
लेकिन बिना oxygen मास्क लगाए प्लेन को किसी भी तरह कण्ट्रोल करने की कोशिश में दोनों पायलट hypoxia के कारण फ्लाइट इंजीनियर की बात भी अच्छी तरह नहीं समझ पा रहे थे।
पायलट्स बस किसी भी तरह प्लेन को कण्ट्रोल करके जल्द से जल्द land करवाना चाहते थे।
पायलट की ऐसी हालत देख flight engineer कप्तान को जोर से हिलाकर उनका ध्यान अपनी ओर लाता है और दोबारा से उन्हें oxygen mask लगा कर प्लेन किसी तरह नीचे लाने के लिए कहता है।
Flight engineer की बात सुन कर अब दोनों पायलट अपना ऑक्सीजन मास्क लगाते है जिसके बाद उनके सोचने और समझने के हालात में थोड़ा सुधार होता है।
बदहवासी ही हालत से थोड़ा बाहर निकलते हुए , दोनों पायलट ये decide करते है की प्लेन को किसी भी तरह 10000 फ़ीट की ऊंचाई से नीचे लाना पड़ेगा ताकि प्लेन में सवार सभी लोग बिना ऑक्सीजन मास्क के भी सांस ले सके।
किसी भी प्लेन में emergency के लिए एक सिमित oxygen सप्लाई होती है जो लगभग 10 -15 मिनट तक की काम करती है। इसलिए अब धीरे धीरे passenger केबिन में लगे मास्क में भी ऑक्सीजन supply कम होती जा रही थी, जिसके कारण पैसेंजर की हालत भी बिगड़ने लगी थी
लेकिन अब पायलट के सामने सबसे बड़ी मुसीबत ये थी की वो बिना tail rudde control के प्लेन को कैसे नीचे लाये। अगर वो engine thrust को बंद करके प्लेन को नीचे लाने की कोशिश करते है तो इसमें ये रिस्क बहुत ज्यादा था की प्लेन stall condition में जा कर क्रैश हो सकता था।
तभी flight engineer ये सलाह देता है की हमे प्लेन के landing gear down कर देने चाहिए , जिसके drag force से प्लेन धीरे धीरे नीचे आ जायेगा। लेकिन सभी hydrulic systems fail होने के कारण प्लेन के लैंडिंग गियर को नार्मल तरीके से डाउन करना impossible था। इसलिए कप्तान emergency लैंडिंग gear knob का इस्तेमाल करके प्लेन के landing gear को डाउन कर देते है.
आमतोर पर हर प्लेन में अगर लैंडिंग गियर काम नहीं करते तो emergency लैंडिंग gear knob की मदद से लैंडिंग गियर अपने garvity weight के कारण नीचे आ कर lock हो जाते है।
landing gear down होने से प्लेन कुछ नीचे तो आता है लेकिन landing gear की drag force के कारण अब प्लेन के rolling motion को कण्ट्रोल करना और भी मुश्किल होता जा रहा था।
अब कप्तान ATC टावर से बात करके उन्हें कहता है की वो प्लेन को Tokyo एयरपोर्ट वापस ला रहे है। ATC टावर भी कप्तान की आवाज़ में परेशानी और घबराहट हो देख कर ये अच्छी तरह समझ चुके थे की प्लेन में कोई बहुत बड़ी मुसीबत आ चुकी है।
इंजन thrust को control करते हुए पायलट प्लेन को धीरे धीरे नीचे लाते जा रहे थे। टोक्यो शहर के बाहरी ग्रामीण इलाके में लोगो ने जब एक बेकाबू प्लेन को हवा में लहराते हुए देखा तो कुछ लोगो ने उस प्लेन की फोटो भी खींची। हालाँकि अँधेरा होने के कारण फोटो दुन्द्ली थी, लेकिन तब भी साफ़ साफ़ देखा जा सकता था की प्लेन का rudder और tail का काफी बड़ा हिस्सा गायब था।
प्लेन जैसे जैसे नीचे आ रहा था तो oxygen level बढ़ने के साथ साथ पैसेंजर और पायलट्स की हालत में भी सुधार हो रहा था। एक्सीडेंट के दौरान अब पहली बार पायलट अपने दिमाग का सही तरीके से इस्तेमाल कर पा रहे थे।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जैसे जैसे प्लेन नीचे आ रहा था पायलट्स को सामने Mount Takamagahara की ऊँची ऊँची पहाडिआ दिखाई देने लगी। बिना rudder की प्लेन की direction को बदलना imposiible था इसलिए कप्तान तुरंत ही first officer को engine thrist बड़ा कर प्लेन को ऊपर उड़ाने के लिए कहता है। और जिसके बाद तुरंत ही first officer engine thrust को maximum पावर पर कर देता है। अपनी पूरी इंजन पावर के साथ प्लेन नाक के बल ऊपर उठने लगता है। प्लेन इतनी ज्यादा स्पीड से ऊपर उठता है की उसका climb angle 40 डिग्री तक चला जाता है।
इतनी steep angle से climb करने के कारण प्लेन stall situation में जाने लगता है. प्लेन की कण्ट्रोल stick तेज़ी से vibrate होने के साथ साथ कॉकपिट में stall warning alarm बजने लगता है। दोनों पायलट्स को पता था की उन्हें जल्द ही कुछ ना कुछ करना होगा नहीं तो उनके साथ साथ प्लेन में सवार सभी 524 लोगो कभी भी मौत के मुँह में जा सकते है
तभी first officer कप्तान से कहता है की उन्हें flaps को low कर देना चाहिए ताकि उनकी drag फाॅर्स से प्लेन को level किया जा सके। Hydrulic system fail होने के कारण कप्तान emergency APU power यूनिट की मदद से flaps को electric तरीके से नीचे करने लगते है। और जिसके बाद प्लेन धीरे धीरे सीदा होने लगता है। हवा में ब्लास्ट होने के बाद ये पहली बार था की प्लेन सीदा उड़ रहा था। पैसेंजर के साथ साथ पायलट्स को भी थोड़ी बहुत उम्मीद दिखाई दी की शायद अब वो प्लेन को कण्ट्रोल कर लेंगे।
लेकिन जो flaps प्लेन को सीदा उड़ा रहे थे जल्द ही वो उनके लिए मुसीबत का कारन बन गए।
एक जगह रुकने की बजाये flaps extend होते जा रहे थे, और धीरे धीरे left side का flap, right side के flap से ज्यादा बड़ा होता चला गया।
Right side के flap से ज्यादा बड़ा होने के कारण अब left side का flap ज्यादा lift generate करने लगा जिसके कारण प्लेन तेज़ी से right side में झुकने लगा
प्लेन को काबू करने के लिए फर्स्ट officer तुरंत ही thrust lever को बढ़ाते है. लेकिन किसी कारण से वो left thirst lever को ज्यादा बड़ा देते है जिसके कारण प्लेन अब पूरी तरह right साइड में झुक कर नीचे Takamagahara की ऊँची ऊँची पहाडिआ की तरफ गिरने लगता है
पहाडिओ के ऊपर इतनी कम ऊंचाई से प्लेन को काबू करना अब पायलट के हाथ से निकल चूका था।
प्लेन का right विंग पहाड़ी से टकराता है और एक झटके से right wing और उसमे लगा इंजन टूट कर अलग हो जाता है।
सैकड़ो किलोमीटर की स्पीड से प्लेन सामने बनी दूसरी पहाड़ी से जा टकराता है।
आग और धुँए का एक तेज़ गुब्बार सब कुछ खत्म कर देता है
ATC टावर में बैठे हुए लोग अपनी मजबूरी ही हालत में सिर्फ प्लेन को राडार स्क्रीन से गायब होते हुए देख सकते थे. ATC बार बार पायलट से contact करने की कोशिश करता है , लेकिन कोई जवाब नहीं आता।
इसके 1 मिनट बाद उस इलाके के पास उड़ रहा एक जापानी मिलिट्री एयरक्राफ्ट ATC को कॉल करके उन्हें Takamagahara की पहाडिओं से उठते आग और धुंए के बारे में बताता है , जिसके बाद ये कन्फर्म हो जाता है की Flight 123 क्रैश हो चुकी है
हादसा इतना भयानक था की जापान सरकार को किसी के भी बचने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी।
ख़राब मौसम और अँधेरा होने के कारण शायद जापान authorities को भी लगा की ऐसी हालत में rescue helicopters को भेजना उनकी जान को भी दांव पर लगाने जैसा होगा। इसलिए इस हादसे के लगभग 12 घंटे बाद अगली सुबह ही उन्होंने अपने अपने बचाव दल को दुर्घटना स्थल पर भेजा।
उन्हें वहां किसी के भी जिन्दा मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी। लेकिन जब बचाव दल वहा पहुंचा तो प्लेन में सवार 524 लोगो में से 4 लोग अभी भी जिन्दा थे। चारो घायल लोगो को तुरंत ही हॉस्पिटल पहुंचाया गया।
अगर rescue team को accident के तुरंत बाद ही crash site पर भेज दिया गया होता तो शायद बहुत सारे दूसरे घायल passengers को भी बचाया जा सकता था
मानव इतिहास में किसी एक प्लेन accident में मरने वालो लोगो का ये सबसे बड़ा हादसा था
हादसे के तुरंत बाद बोइंग ने अपने प्लेन के डिज़ाइन में major changes किये ताकि केबिन प्रेशर बढ़ने के कारण प्लेन की tail इस तरह से ना टूटे।
जापान एयरलाइन ने भी अपने maintenance process में बड़े बदलाव करते हुए सभी planes की सही मरम्मरत के लिए सख्त नियम बनाये।
इन सभी बड़े बदलावों के कारण दुनिया भर की हवाई यात्रा और भी सुरक्षित हो गयी लेकिन बदकिस्मती से Japan Flight 123 में सवार 520 लोगो को इसकी कीमत अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी।
मुसीबत के समय में भी बहादुरी से अपने फ़र्ज़ को निभाने वाले पायलट्स और केबिन क्रू हो हम नमन करते है और आप सब से भी गुजारिश करते है की अपने comment के जरिये इस हादसे में जान गवाने वाले सभी लोगो की आत्मा की शांति के लिए प्राथना करे। धन्यवाद्