INTRODUCTION
INTRODUCTION
Asiana airline का boeing 777 पैसेंजर प्लेन लैंडिंग के लिए San Francisco Airport के रनवे की तरफ बढ़ रहा था
आम दिनों की तरह ये एकदम सामान्य landing लग रही थी
लेकिन जैसे जैसे प्लेन एयरपोर्ट runway के नज़दीक आता जा रहा था उसमे बैठे हुए सभी 307 लोग मौत के मुँह में जाते जा रहे थे
रनवे पर लैंड करने की बजाय प्लेन के tyres समुन्दर की लहरों को छूने लगते है
मौत को साक्षात् सामने देखकर पायलट प्लेन को ऊपर उठाने की कोशिश करते है
इस प्लेन और उसमे बैठे हुए लोगो का क्या हुआ , जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ
CASE STUDY
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अगर आपको बताया जाए की आपकी फ्लाइट के 90 % से भी ज्यादा वक़्त प्लेन अपने आप उड़ता है तो शायद आपको अचम्बा होगा। आप सोच रहे होंगे की अगर प्लेन अपने आप उड़ता है तो पायलट क्या करते है ?
लेकिन ये सच है।
उम्मीद है की आप में से काफी लोगो ने auto pilot मोड के बारे में सुना ही होगा।
किसी भी आधुनिक प्लेन को आमतौर पर दो तरह से उड़ाया जाता है। पहला है manual mode, जिसके दौरान pilots प्लेन की speed और direction को manually control करते हुए प्लेन उड़ाते है।
दूसरा है auto mode या Auto pilot mode .
Auto pilot mode के दौरान प्लेन में लगा हुआ centralized computer सिस्टम प्लेन में लगे हुए अलग अलग तरह के sensors की मदद से प्लेन की height , direction और speed इत्यादि सभी महत्वपूर्ण systems को control करके प्लेन को अपने आप उडाता है।
आज के आधुनिक jet planes में AUTO PILOT mode बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
Navigation system , GPS system , landing gear system , engine control system जैसे महत्वपूर्ण systems के अलावा प्लेन में 150 से भी ज्यादा अलग अलग तरह के सिस्टम लगे होते है जिनकी मदद से ही इतना भारी भरकम प्लेन हवा में उड़ पाता है।
इतने सारे systems को कण्ट्रोल करके प्लेन को उड़ाना बहुत की जोखिम भरा और थका देने वाला काम है और ऐसी हालात में थकावट और प्रेशर के कारण कोई भी गलती हो जाना बहुत ही आसान बात है. लेकिन हवा में 30000 फ़ीट की ऊंचाई पर ऐसी किसी भी गलती के लिए कोई गुंजाइश नहीं होती। और इसीलिए अपनी फ्लाइट के दौरान ज्यादातर वक़्त प्लेन में लगा हुआ auto pilot mode ही बिना कोई गलती किये प्लेन को सकुशल उडाता है
और जैसा की हम सभी जानते है प्लेन की उड़ान के दौरान हवा की speed और direction के साथ साथ मौसम में होने वाले बदलाव का बहुत ही ज्यादा असर होता है इसलिए ऐसे किसी भी हालात में पायलट किसी भी auto pilot mode को disangage करके प्लेन का कण्ट्रोल अपने हाथ में ले लेते है।
इसे और आसानी से समझने के लिए जैसे crusie control कार की स्पीड को maintain करने के लिए इंजन की पावर और break को adjust करता रहता है, लेकिन जैसे ही ड्राइवर कार के break या accelerator को दबाता है , cruise control auto मोड disangage हो जाता है और कार का पूरा कण्ट्रोल दोबारा से ड्राइवर के हाथ में आ जाता है
ढीक उसी तरह प्लेन के auto pilot मोड में भी पायलट कभी भी प्लेन का कण्ट्रोल अपने हाथ में ले सकते है और प्लेन की height या स्पीड को manually control कर सकते है। Auto mode के बारे में ये जानकारी आज के accident में एक important role निभाने वाली है
वापस आते है अपनी आज की case study पर
6 July, 2013, शाम के लगभग 4 बजे South Korea , Seaoul का Incheon International Airport .
Asiana airlines Flight 214 अपनी regular उड़ान के लिए seoul से San Francisco जाने की तैयारी कर रही था। South Korea से US के west cost तक के लिए ये एक लम्बी दूरी की overnight उड़ान है जो लगभग 11 घंटे में पूरी होती है
HL7742 नाम से रजिस्टर ये Boeing 777 का ये आधुनिक प्लेन 2006 में Asiana एयरलाइन को दिया गया था और तब से अब तक 7 सालो में इस प्लेन ने कुल मिला कर 37000 घंटो की उड़ान पूरी की थी।
अपने सेफ्टी रिकॉर्ड , दमदार इंजन और 300 से ज्यादा passengers की capacity के कारण , 21वी सदी में Boeing 777 इस तरह की लम्बी दूरी की उड़ानों के लिए एयरलाइन्स की पहली पसंद बन चूका है। ऐसी लम्बी उड़ान के लिए ये प्लेन एक बार में 13000 किलोमीटर तक का सफर बिना रुके पूरा कर सकता है
291 passengers और 13 crew members के साथ उस दिन प्लेन में कुल मिला कर 307 लोग सवार होते है।
अपने schedule departure time से लगभग आधा घंटे लेट , शाम के 5 बजकर 4 मिनट पर प्लेन Seoul एयरपोर्ट से टेकऑफ करता है
प्लेन में उस दिन 3 captain और एक first officer सवार थे।
Flight के main captain की position पर उस दिन 45 वर्षीय कप्तान Lee Kang-kook प्लेन की front लेफ्ट सीट पर सवार थे। हालाँकि कप्तान Lee Kang के पास 9793 घंटो का फ्लाइंग experience था लेकिन इस तरह के Boeing 777 प्लेन को उड़ाने का उनका एक्सपीरियंस महज 43 घंटो का था। इसलिए उनकी साथ वाली सीट पर 49 वर्षीय कप्तान Captain Lee Jeong-min एक instructor के तोर पर कप्तान Lee Kang पर नज़र रखने और उन्हें training देने के लिए बैठे हुए थे।
12387 घंटो के total फ्लाइंग experience और 3220 घंटो के Beoing 777 experience के साथ Captain Lee Jeong एक experienced कप्तान और कुशल flight instructor थे।
Seoul से San Francisco तक की ये उड़ान लगभग 11 घंटे की थी , इसलिए इस तरह की लम्बी उड़ानों में 2 और एक्स्ट्रा सहायक pilots को नियुक्त किया जाता है ताकि बीच बीच में सभी पायलट आराम कर सके।
इसलिए cockpit की पिछली सीट पर 40 वर्षीय first officer Bong Dong-won और 52 वर्षीय Relief Captain Lee Jong-joo, extra पायलट के तोर पर सवार थे।
शाम को उड़ान के कुछ घंटो बाद आराम करने के लिए main pilots , flight का control एक्स्ट्रा pilots के हाथ में दे देते है। बिना किसी परेशानी के प्लेन पूरी रात अपनी उड़ान भरते हुए अब US west के आसमान में पहुँच जाता है।
अपने landing time से लगभग 2 घंटे पहले सुबह के लगभग 9 बजे एक्स्ट्रा pilots दोबारा से प्लेन का कण्ट्रोल Lee Kang-kook और Instructor Captain Lee Jeong के हाथ में दे देते है।
और धीरे धीरे Asiana airlines Flight San Francisco International Airport की तरफ बढ़ती है
कुछ जरूरी maintenance कारणों की वजह से San Francisco International Airport के runway 28 L पर I L S लैंडिंग सिस्टम बंद था और इसलिए ATC ने Asiana flights के pilots को visual landing की permission दी थी
ILS Landing में जहाँ प्लेन का auto pilot system runway पर लगे हुए radio beam signals को follow करते हुए प्लेन की height और speed को automatic तरीके से कण्ट्रोल करता है। और धीरे धीरे प्लेन को सही glide slope में ला कर रनवे पर लैंड करता है।
वही उसके दूसरी तरफ visual landing के दौरान pilots प्लेन की speed , height और direction को manually control करते हुए प्लेन को रनवे के glide slope में लाते है और लैंड करते है। इसलिए Visual Landing के दौरान pilots को बहुत ही सावधानी से प्लेन को runway glide slope के अंदर रखना होता है ताकि प्लेन रनवे पर सही जगह लैंड कर सके। अगर किसी कारण से प्लेन glide slope से ऊपर चला जाए तो वो runway पर काफी आगे जा कर लैंड करेगा।
वही अगर प्लेन glide slope से नीचे आ गया तो वो रनवे शुरू होने से पहले ही लैंड हो कर क्रैश हो जायेगा।
सुबह के लगभग 11 बजकर 21 मिनट पर ATC pilots को 180 knots की speed maintain करते हुए runway 28 L पर visual landing की final permission देते है।
उस दिन San Francisco International Airport पर मौसम बिलकुल साफ़ था जिसके कारण रनवे के आस पास visibilty भी 16 km के आस पास थी। visual landing के लिए ये एकदम perfect weather था और इसलिए ATC और pilots बिना किसी खतरे की आशंका के आराम से लैंड करने की सोच रहे थे।
लेकिन जैसा की हमने video की शुरआत में भी बताया था की कप्तान Lee Kang-kook का Boeing 777 प्लेन को उड़ाने का experience कम था इसलिए वो vsual approach से लैंड करने में थोड़ा सा nervous feel कर रहे थे. लेकिन जैसा की ये उनकी testing flight थी और ताकि उनका impression ख़राब ना हो इसलिए उन्होंने ये बात अपने साथ बैठे हुए senior कप्तान को नहीं बताई। और अगर वो ये बात अपने साथ बैठे हुए instructer captain को बता देते तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
Runway 28 L पर लगी हुई Precision Approach Path Indicators लाइट्स यानी PAPI लाइट्स को follow करते हुए कप्तान Lee Kang प्लेन को रनवे की तरफ ला रहे थे।
आमतोर पर अगर runway पर लगी हुई 4 PAPI lights में से दो लाल और दो सफ़ेद होती है तो इसका मतलब होता है की प्लेन सही ग्लाइड स्लोप में आ रहा है।
लेकिन Asiana flights अपने ग्लाइड स्लोप से थोड़ा ऊपर उड़ रही थी।
रनवे से लगभग 11 miles दूर प्लेन अभी भी 3600 फ़ीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था और अगले 5 miles में प्लेन को अपनी ऊंचाई आधी से भी ज्यादा कम करके 1800 फ़ीट तक लानी थी।
ये देखते हुए कप्तान Lee Kang-kook प्लेन की हाइट को बहुत ही तेज़ी से कम करने लगते है। और देखते ही देखते प्लेन 1000 फ़ीट per minute की स्पीड से नीचे आने लगता है।
प्लेन की स्पीड को कम करने के लिए कप्तान Lee Kang-kook अपने साथ बैठे हुए Captain Lee Jeong को लैंडिंग gear down करने के लिए कहते है ताकि landing gear की drag force के कारण प्लेन की स्पीड कम हो जाए और प्लेन और तेज़ी से नीचे आ जाये।
प्लेन अब लगभग 1500 फ़ीट per minute की स्पीड से नीचे आने लगता है और auto pilot मोड off होने के कारण अब प्लेन की स्पीड बहुत ही तेज़ी से कम होने लगती है।
इतनी तेज़ी से नीचे आने और लगातार कम होती जा रही स्पीड के कारण अब प्लेन glide slope से भी नीचे चला जाता है।
रनवे पर लगी हुए 3 PAPI lights सफ़ेद और एक light लाल हो जाती है जिसका साफ़ साफ यही मतलब था की प्लेन अपने glide स्लोप से नीचे आ चूका है
कप्तान के साथ बैठे हुए तीनो pilots भी अब तक ये समझ चुके थे की प्लेन की स्पीड और height काफी कम हो चुकी है।
रनवे के ढीक सामने समुन्दर से 180 फ़ीट ऊपर उड़ रही Asiana flights की स्पीड कम होते होते 118 knots पहुँच जाती है।
इतनी कम स्पीड के कारण प्लेन तेज़ी से stall mode में जाने लगता है , जिसके कारण कप्तान की control stick तेज़ी से vibrate होने लगती है।
ये देखते ही कप्तान तेज़ी से प्लेन की nose को ऊपर उठा कर engine स्पीड को बढ़ाने की कोशिश करते है ताकि प्लेन को दोबारा से ऊपर उठा कर go around किया जा सके।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। समुन्दर के ऊपर रगड़ खाते हुए प्लेन रनवे के ढीक सामने बनी हुई sea wall से टकरा जाता है।
sea wall से टकराते ही प्लेन का पिछला हिस्सा और left इंजन टूट कर प्लेन से अलग हो जाते है जिसके कारण प्लेन के पिछले हिस्से में बैठे हुए 2 पैसेंजर और 4 flight crew प्लेन से बाहर गिर जाते है
प्लेन तेज़ी से रनवे पर रगड़ खाने लगता है और कुछ ही देर में प्लेन का पिछला हिस्सा दोबारा से ऊपर की तरफ उठता है जिसके कारण प्लेन 360 angle में घूम कर तेज़ी से रनवे के साथ बनी हुई जमीन से टकराता है।
चारो तरफ धुंए और मिट्टी का एक तेज़ गुब्बार उठता है
और आख़िरकार भारी भरकम Boeing 777 रनवे के दाएं तरफ जा कर रुक जाता है। इसे भगवान का चमत्कार की कहेंगे की इतनी बुरी तरह क्रैश होने के बावजूद भी प्लेन में बैठे हुए ज्यादातर लोग जिन्दा बच जाते है।
क्रैश में बुरी तरह घायल होने के बावजूद सभी केबिन क्रू बड़ी ही बहादुरी से पैसेंजर को प्लेन से बहार निकालना शुरू कर देते है
जल्द ही fire fighters और ambulance की गाड़ियां भी प्लेन के पास पहुँच कर घायल लोगो को हॉस्पिटल पहुंचाने लगती है
बदकिस्मती से ऐसी हटबड़ाहट में एक fire fighter truck का टायर जमीन पर घायल पड़े हुए एक पैसेंजर के ऊपर चढ़ जाता है। हालाँकि बाद में NTSB ने अपनी रिपोर्ट में बताया की वो पैसेंजर fire ट्रक के ऊपर चढ़ने से पहले ही मर चुकी थी।
इस दर्दनाक हादसे में 3 पैसेंजर मारे गए और 40 से ज्यादा crew members और passengers को घम्बिर चोटे आई।
हादसे में मारे गए तीनो पैसेंजर्स वही थे जो क्रैश के बाद प्लेन से बाहर गिर गए थे।
लेकिन उनके साथ बाहर गिरे चारो crew members जिन्दा बच गए।
rescue mission के पूरा होते ही flight data recorder और cockpit voice recorder को बरामद करके तुरंत ही हादसे की जांच शुरू कर दी गई।
और वैसे भी इतने सारे eye witness और जिन्दा बचे हुए crew members और passengers के बयान के बाद इस हादसे के कारणों को समझना और जानना कोई बड़ी बात नहीं थी
रिपोर्ट के अनुसार लैंडिंग के आखिरी वक़्त में पायलट सही तरीके से प्लेन की height और स्पीड को कण्ट्रोल नहीं कर पाए। और इसका एक कारण ये भी था की इतनी लम्बी फ्लाइट में थकान और नींद के कारण लैंडिंग के वक़्त प्लेन को manual control करते हुए पायलट सही तरीके से decission नहीं ले पाए।
इस हादसे के लिए पायलट को इसलिए भी जिम्मेदार माना गया की रनवे के इतनी पास पहुँच कर भी जब प्लेन सही glide slope में नहीं उड़ रहा था तो उन्हें landing cancel करके प्लेन को go around करवाना चाहिए था।
अगर कॉकपिट में सभी pilots वक़्त रहते सही तरीके से communicate करके हालात के अनुसार decission लेते तो इस हादसे को टाला जा सकता था और शायद 3 पैसेंजर्स को अपनी जान नहीं गवानी पड़ती।
उन तीन पैसेंजर को याद करते हुए हम अपने viewers और channel की तरफ से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्राथना करते है