INTRODUCTION
आपने दुनिया में बहुत चत्मकार देखे होंगे और उनकी कहानियां सुनी होंगी लेकिन क्या आपने कभी सुना है की आसमान में उड़ते हुए एक प्लेन में धमाका हुआ, जिससे प्लेन के फर्श और छत में छेद हो गया , लेकिन फिर भी प्लेन सही सलामत लैंड कर गया और सब लोग बच गए? जो कहानी आज हम आपको इस वीडियो में सुनाने जा रहे हैं वो किसी चमत्कार से कम नहीं है। तो आइये जानते है की कैसे 28000 फ़ीट पर 369 लोगो ने मौत को बहुत करीब से देखा ?
Case Study
8 जुलाई 2008 , Honkong International airport , Qantas airline flight -30 जो नोर्मल्ली London से उड़ कर Meloboune जाती है और रास्ते में Hongkong airport पर रूकती है।
अपनी फ्लाइट के दुसरे चरण में ये प्लेन अब Hongkong से उड़ कर Meloboune जाने की तैयारी कर रहा था। Boeing 747 – 438 सीरीज का ये एयरप्लेन VH – OJK के नाम से रजिस्टर्ड था उस दिन इस airplane में 3 पायलट्स मौजूद थे। एयरप्लेन को 53-वर्षीय Captain John Francis Bartels उड़ा रहे थे , जिनके पास airplane udaane का 25 सालो का कुशल अनुभव था।
इससे पहले वो Royal Australian Navy में भी 7 साल जॉब कर चुके थे। इस फ्लाइट में उनका साथ co-pilot Bernd Werninghaus और Paul Tabac दे रहे थ। इन तीनो पायलट्स का एक्सपीरियंस और Flying Skills कबीले तारीफ था। ये एक बहुत ही busy flight थी और उस दिन फ्लाइट में 19 crew मेंबर्स के साथ 350 यात्री सवार थे।
सुबह के करीब 9 बजे Quantas फ्लाइट ने एयरपोर्ट पर अपना takeoff रोल शुरू किया और लगभग 09 : 22 पर इस फ्लाइट ने Hongkong एयरपोर्ट से Melbourne जाने के लिए उड़ान भरी।
ये एक नार्मल takeoff था और बिना किसी तकनिकी खराबी के सब कुछ सामान्य तरीके से चल रहा था। फ्लाइट अपनी नार्मल तरफ्तार से उड़ रही थी और किसी को भी आने वाले खतरे की कोई आशंका नहीं थी। फ्लाइट को उड़ते हुए अभी 50 मिनट ही हुए थे की अचानक विमान में तेज़ धमाके की आवाज़ सुनाई दी।
धमाका होते ही केबिन में हवा का प्रेशर कम हो गया जिसके कारन airplane में ऑक्सीजन मास्क लटकने लगे।
धमाके के बाद पैसेंजर्स और केबिन क्रू ने देखा की plane के फ्लोर में एक बहुत बड़ा छेद हो गया है और वैसा ही छेद कार्गो डेक के बाहर वाली दीवार पर भी हो गया था। अपने पैरो के नीचे खुला आसमान देख कर पैसेंजर्स की जान हलक में अटक गयी।
ये सब होते ही प्लेन में बैठे यात्रियों के बीच हड़बड़ी मच गई। केबिन में ऑक्सीजन का प्रेशर कम होने के कारण पैसेंजर्स को सांस लेने में भी काफी परेशानी हो रही थी। अब तक पायलट्स को भी धमाके के बाद प्लेन के फर्श और छत में हुए छेद का पता चल चूका था।
और इससे पहले की पायलट्स कुछ सोच पाते अचानक से प्लेन का Autopilot सिस्टम बंद हो गया और प्लेन बहुत तेज़ी से डगमगाने लगा । जिसके बाद फर्स्ट अफसर ने तुरंत प्लेन को मैन्युअली कण्ट्रोल करना शुरू कर दिया और यात्रियों को समजाते हुए शांति से अपनी सीट पर बैठने के लिए कहा।
Autopilots fail होने के साथ साथ अब प्लेन के दुसरे सिस्टम्स भी धीरे धीरे fail होने लगे थे . अचानक आई इस परेशानी के बावजूद पायलट्स हिम्मत दिखाते हुए सिचुएशन को समझने और कण्ट्रोल करने की पूरी कोशिश में लगे हुए थे।
लेकिन अब प्लेन के cockpit में अलग अलग तरह के कई वार्निंग मैसेज आने लगे थे, जिससे पायलट्स की confusion और परेशानी और ज्यादा बड गयी थी। लेकिन इस तरह के मुश्किल हालात में भी अपना सयंम बनाते हुए अब पायलट्स पूरी हिम्मत के साथ इस सिचुएशन को समझने और सँभालने की कोशिश में जुट गए।
इतनी ज्यादा हाइट पर प्लेन में छेद हो जाने के कारण अब पैसेंजर सिर्फ ऑक्सीजन मास्क के सहारे ही सांस ले सकते थे। हालांकि प्लेन में सबको ऑक्सीजन मास्क्स मिल चुके थे, लेकिन ऑक्सीजन मास्क्स के सहारे ज़्यादा देर तक सांस ले पाना मुमकिन नहीं था , क्योंकि प्लेन के ऑक्सीजन Cylinder में सिर्फ 15 मिनट का ही emergency ऑक्सीजन होता है.
इस सिचुएशन को dhekte हुए पायलट्स ने decide किया की उन्हें प्लेन के altitude को कम करके उसे 10000 फ़ीट पर लाना होगा, ताकि सभी पैसेंजर्स बिना ऑक्सीजन मास्क के भी सांस ले सके।
प्लेन के altitude को कम करने के लिए पायलट्स ने speed break apply कर दिए , जिसके कारन प्लेन बहुत तेज़ी से नीचे आने लगा। हालंकि पायलट्स पूरी कोशिश कर रहे थे की प्लेन को क्रैश होने से बचाया जा सके, लेकिन वो अछि तरह जानते थे की इस सिचुएशन में plane का बचना बहुत मुश्किल है .
इसलिए जहाँ एक तरफ पायलट्स प्लेन की हाइट को कम करके उसे 10000 फ़ीट तक लाने की कोशिश कर रहे थे, वही दूसरी तरफ उन्होंने ट्रैफिक कण्ट्रोल टावर को MAY DAY कॉल कर दी , जिसका मतलब था की प्लेन कभी भी crash हो सकता है और सभी लोगो की जान जा सकती है।
लेकिन कहते है ना जाको राखे साईआं मार सके ना कोई , इसलिए अभी pilots को भी नहीं पता था की किस्मत में उनके लिए कौन सा चमत्कार लिखा है।
पायलट्स को ये अछि तरह से पता था की इस सिचुएशन में plane ज्यादा देर तक नहीं उड़ पायेगा , इसलिए उन्हें जल्दी से जल्दी प्लेन को किसी एयरपोर्ट पर लैंड कराना होगा।
उस वक़्त प्लेन की लोकेशन के सबसे पास Manila का Ninoy Aquino International एयरपोर्ट था और पायलट्स ने प्लेन को उसी एयरपोर्ट पर लैंड कराने का फैसला किया। मनिला का यह एयरपोर्ट ही अब पायलट्स के लिए उम्मीद की आखरी किरण था। प्लेन में अभी भी बहुत ज्यादा फ्यूल बचा था जिसके कारन प्लेन का weight काफी ज्यादा था।
अगर प्लेन इस weight के साथ लैंड करता तो उसके runway पर क्रैश हो जाने का खतरा था, जिसके कारण प्लेन में आग लग सकती थी और सभी की जान जा सकती थी। इसलिए पायलट्स ने प्लेन में मौजूद extra फ्यूल को हवा में ही फेकने का फैसला किया ताकि जब विमान लैंड करे तो उसका weight कम हो ।
Manila एयरपोर्ट की तरफ बड़ते हुए अब पायलट्स को कॉकपिटिस में बहुत सारे वार्निंग सिग्नल्स दिखाई दे रहे थे। किसी भी वक़्त कुछ भी हो सकता था। लेकिन मुश्किल के इन शनो में भी पायलट्स ने हार नहीं मानी और प्लेन को कण्ट्रोल करने की हर संभव कोशिश करते रहे ।
मनिला के एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल द्वारा मिले राडार signals को फॉलो करते हुए Quantas flight एयरपोर्ट की तरफ बढ़ती जा रही थी और सभी इसी उम्मीद में थे की बस किसी तरह प्लेन इस airport पर land कर जाए।
और इसके बाद ऐसा चमत्कार हुआ जिसकी उम्मीद ना के बराबर थी। देखते ही देखते पायलट्स ने प्लेन को सही सलामत Manila airport पर लैंड करवा दिया , और केबिन क्रू के साथ साथ प्लेन में मौजूद सभी यात्रियों की जान बचा ली।
लेकिन कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती। आखिर यह धमाका हुआ कैसे? इस सवाल का जवाब ढूँढना अभी बाकी था।
इन सभी सवालो के जवाब ढूंढ़ने के लिए ऑस्ट्रेलियाई ट्रांसपोर्ट सेफ्टी ब्यूरो ने एक स्पेशल टीम को विमान का मुआइना करने के लिए मनिला एयरपोर्ट भेजा।
अपनी प्रारंभिक जांच में इन्वेस्टीगेशन टीम ने पाया की प्लेन के लेफ्ट side में wing के नीचे लगभग 2.01 मीटर चौड़ा और 1.52 मीटर ऊँचा एक छेद हो चूका था,
जिसके कारण प्लेन के floor और रूफ का काफी बड़ा हिस्सा प्लेन से टूट कर अलग हो चूका था।
इस इन्वेस्टीगेशन में धीरे धीरे बहुत सी और जानकारी भी जुड़ने लगी। 2 साल की इन्वेस्टीगेशन के बाद ऑस्ट्रेलियाई ट्रांसपोर्ट सेफ्टी ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट सबमिट की और कहा की Quantas फ्लाइट के ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा जो सिलिंडर्स प्लेन में इमरजेंसी के लिए रखे जाते थे , यह ब्लास्ट उन में से एक सिलिंडर्स की वजह से ही हुआ था ।
क्यूंकि उस एक सिलिंडर को छोड़ कर बाकी सब सिलिंडर्स अपनी जगह पर ही थे । इन्वेस्टीगेशन के दौरान उस सिलिंडर का सिर्फ एक वाल्व ही मिल पाया था जिसके कारण ये पता लगाना काफी मुश्किल था की उस सिलिंडर में बलास्ट क्यों और कैसे हुआ। जांच के दौरान Quantas फ्लाइट बहुत समय तक मनिला एयरपोर्ट पर ही रुकी रही।
कुछ जरूरी रिपेयर के बाद 10 नवंबर 2008 को इस प्लेन को ऑस्ट्रेलिया ले जाया गया, जहाँ बची कुछी कुछ चीज़ें ठीक करवाने के बाद इस प्लेन को दुबारा से सर्विस में वापस लाया गया। लेकिन 18 नवंबर 2008 को यह विमान फिर से एक दुसरे विमान से टकरा गया और दुबारा से इसकी मरमत करवानी पड़ी।
15 जनवरी 2009 में जब यह विमान फिर से सर्विस में आया तब अथॉरिटीज समझ चुकी थी की अब यह विमान किसी काम का नही रहा। और 2009 के अंत में इस finally इस Plane को रिटायर कर दिया गया