INTRODUCTION
Concorde – दुनिया का पहला सुपर सोनिक एयरप्लेन।
Sound की स्पीड से भी तेज़ उडता हुआ ये प्लेन जब आसमान को चीरता हुआ आगे बढ़ता था तो दुनिया मानो सिकुड़ जाती थी । लेकिन कैसे एक हादसे ने दुनिया से Concorde एयरप्लेन का नामो निशाँन मिटा दिया , और जिसके बाद किसी ने दोबारा इस एयरप्लेन में सफर करने की हिम्मत नहीं की। आइये जानते है विस्तार से।
Case Study
दिल्ली से चेनई तक का distance लगभग 2150 किलो मीटर है । अगर आप 100 KM/hr की स्पीड से बिना रुके कार चलाते है तो chennai पहुँचने में आपको लगभग 22 घंटे लगेंगे।
Airplane से यही डिस्टनेसे आप लगभग 3 घंटे में पूरा करेंगे।
लेकिन वंही अगर आप concorde से ट्रेवल करते तो ये दूरी 1 घंटे से भी कम समय में तय कर लेते ।
जरा सोचिये 2200 KM / Hr की स्पीड से उड़ते हुए Concorde जब आवाज़ की गति से भी तेज़ भागता होगा तो उसमे ट्रेवल कर रहे passengers को कैसा लगता होगा। आप और हम आज भी शायद इसका अंदाज़ा नहीं लगा सकते, लेकिन आज से 25 साल पहले Concorde ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था। सुपरसोनिक स्पीड से उड़ता हुआ ये प्लेन पालक झपकते ही लोगो को हज़ारो kilometer दूर ले जाता था।
लेकिन अचानक 25 July 2000 को वो हुआ जिसके बाद फिर किसि ने कॉनकॉर्ड में ट्रेवल करने की हिम्मत नहीं की। उस दिन हुए कॉनकॉर्ड क्रैश में न सिर्फ सैकड़ो मासूम लोगो की जान चली गयी, बल्कि पूरी दुनिया से कॉनकॉर्ड प्लेन का नामो निषाण ही मिट गया।
इस हादसे के बारे में जानने से पहले हमे concorde प्लेन से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी लेनी होगी जिससे हम इस हादसे के कारणों को अछि तरह से समझ सके
जैसा की हमने पहले भी बताया की concorde एक सुपरसोनिक एयरप्लेन था जो साउंड की गति से भी दोगुनी गति से ट्रेवल करता था। इतनी तेज स्पीड से उड़ने की लिए कॉनकॉर्ड की बॉडी और wings को बहुत से special aerodynamic शेप में design किया गया था। आप सभी ने concorde प्लेन के बेहद खूबसूरत Delta wings design को तो देखा ही होगा , जो हवा में तेज़ी से उड़ते हुए किसी बाज़ की तरह लगता था।
अपने delta wing design के कारन ही कॉनकॉर्ड subsonic स्पीड से ले कर supersonic speed तक आसानी से उड़ सकता था। लेकिन इसी delta wing design के कारन concorde को बहुत ही तेज़ स्पीड और ऊँचे angle से takeoff और लैंडिंग करना पड़ता था ताकि प्लेन को हवा में रहने के लिए जरूरी लिफ्ट मिल सके।
अगर और आसान भाषा में समझने की कोशिश करे तो आजकल beoing 737 प्लेन को takeoff करने के लिए लगभग 140 से 150 कनोट्स की speed से रनवे पर दौड़ना पड़ता है , वही एक concorde plane को takeoff करने की लिए लगभग 200 knots की स्पीड की जरूरत होती थी
लेकिन इतनी तेज़ स्पीड से runway पर दौड़ने के कारण concorde के टायर्स पर बहुत ज्यादा परसूरे पड़ता था। और इसी कारन अपनी 30 सालो की सर्विस में लगभग 57 बार कॉनकॉर्ड के टायर takeoff करते हुए ब्लास्ट हो गए थे। इतनी तेज़ स्पीड पर टायर ब्लास्ट होने के कारन कई बार टायर के उड़ते हुए टुकड़े concorde के विंग्स के निचले हिस्से से भी टकरा गए थे जिससे विंग्स में लगे फ्यूल टैंक में छेद हो गया था और उसके hydrulic सिस्टम को भी नुक्सान पहुँचा था । इन हादसों की जांच के बाद कॉनकॉर्ड के टायर और hydrulic सिस्टम में बहुत सारे बदलाव करने के सुझाव दिए गए थे। हालाँकि investigation टीम को ये अंदेशा भी था की tyres blast के कारण होने वाले fuel leak में आग भी लग सकती है लेकिन उन्हें इस बात की संभावना बहुत ही कम नज़र आती थी जिस कारन से इसे इतना seriously नहीं लिया गया।
Concorde में olympus ब्रांड के 4 twin spool turbo jet engines लगे हुए थे जिन्हे delta wings के पीछे की तरफ hydrulic system के ठीक ऊपर लगाया गया था। अपने स्पेशल डिज़ाइन और multiple air intake features के कारण ही ये engines concorde को सुपरसोनिक स्पीड देते थे।
इन सब जानकारी के बाद आइये अपनी केस स्टडी पर वापस आते है और विस्तार से उस हादसे के बारे में जानते है
25 july 2000 concorde की air france फ्लाइट 4590 paris एयरपोर्ट से उड़ान भर कर new york jaane की तैयारी कर रहा था। उस दिन शुरुआत से ही इस फ्लाइट में कुछ technical problems आ रही थी जिस कारन से एक बार तो ये decide किया गया की इस फ्लाइट के लिए किसी दूसरे concorde प्लेन को उसे किया जाये। लेकिन फिर finally इसी concorde के साथ उड़ान भरे का decission लिया गया।
ये एक चार्टेड फ्लाइट थी जिसे एक German tourist company ‘Peter Deilmann Cruises ‘ ने hire किया था। उस दिन इस फ्लाइट में यात्रा करने वाले जयादातर लोग jerman टूरिस्ट थे जो अपनी 16 दिनों की cruise travel के लिए new york जा रहे थे
उस दिन इस flight को 53 वर्षीय Captain Christian Marty उडा रहे थे जो पिछले 33 सालो से air france में काम कर रहे थे। Captain Christian Marty के पास 13,477 flight hours का कुशल अनुभव था , जिसमे से 317 hours का अनुभव concorde plane को उड़ाने का था।
50 वर्षीय First officer Jean Marcot और 58 वर्षीय Flight engineer Gilles Jardinaud भी इस उड़ान में captain का साथ दे रहे थे। ये एक बहुत ही कुशल फ्लाइट क्रू था जिन्हे specially concorde plane को उड़ाने के लिए train किया गया था।
दोपहर के लगभग 4 बजे cabin crew ने pre flight checks start किये।
Ground engineer की कन्फर्मेशन के बाद कप्तान ने फ्लाइट में फ्यूल भरने का निदेश दिया। उस दिन फ्लाइट में लगभग 95 tons फ्यूल भरा गया जो concorde की maximum weight capacity के काफी करीब था।
दोपहर के लगभग 4 बजकर 25 miute पर फ्लाइट ने अपना push back process start किया जिसके बाद sequence में engines को स्टार्ट किया गया।
Concorde flight को takeoff करने के लिए उस दिन runway 26R को निर्धारित किया गया था जो पेरिस एयरपोर्ट का सबसे बड़ा रनवे था
और लगभग 4 बजकर 35 miute पर concorde फ्लाइट ने runway की तरफ बढ़ना शुरू किया जब concorde flight runway 26R की तरफ बढ़ रही थी ढीक उसी वक़्त एक continental flight DC10 उसी रनवे से takeoff करने जा रही थी। takeoff के दूरांन DC10 flight के राइट इंजन से metal का एक छोटा सा टुकड़ा टूट कर रनवे पर गिर गया। DC10 flight के क्रू को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने normal तरीके से अपना टेकऑफ पूरा कर लिया।
बिना किसी की जानकारी के metal का ये टुकड़ा अब उसी रनवे के बीचो बीच पड़ा था जिस पर से concorde flight को takeoff करना था
धीरे धीरे taxi way से गुजर कर concorde flight अब रनवे पर पहुँच चुकी थी और captain ने takeoff के लिए flight crew को फाइनल ब्रीफिंग देने का प्रोसेस शुरू किया। आम तोर पर इस टाइप की takeoff briefing में उन सभी emergency situations को decide किया जाता है जिसमे runway पर doodte हुए प्लेन का takeoff cancel किया जा सके।
प्लेन की स्पीड और सभी emergency situations को धयान में रखते हुए ये decide किया गया की agar 0-100 Knots की स्पीड पर कुछ भी खराबी आती है तो टेकऑफ को कैंसिल कर दिया जायेगा। 100-150 knots की स्पीड पर takeoff को तभी कैंसिल किया जायेगा अगर plane के इंजिन्स में आग लग जाये या प्लेन का कोई टायर भट जाए। और फाइनली अगर runway speed 150 knots से ज्यादा हो गयी तो किसी भी हालत में takeoff को कैंसिल नहीं किया जायेगा क्योंकि उस speed पर प्लेन को रोकना नामुमकिन होगा और प्लेन पक्का क्रैश कर जायेगा। इसलिए इतनी speed हो जाने के बाद यही सही होता है की आप takeoof जारी रखे और हवा में जाने के बाद situation को संभालने की कोशिश करे और फाइनली लगभग 4 बजकर 42 miute पर कॉनकॉर्ड फ्लाइट टेकऑफ शुरू करती है
takeoff speed पर जाने के लिए Captain चारो thurst levers को फुल फाॅर्स में आगे करता है जिसके बाद आग उगलते हुए चारो इंजिन्स पूरी force के साथ प्लेन को आगे भडाने लगते है
कुछ ही देर में concorde 150 knots की स्पीड पर पहुँच कर रनवे पर दौड़ने लगता है। इस स्पीड पर आने के बाद अब प्लेन को किसी भी हालत में रोका नहीं जा सकता।
तभी अचानक प्लेन का left टायर DC10 से गिरे हुए metal part के ऊपर से गुजरता है और एक तेज़ धमाके के साथ टायर फट जाता है
इतनी तेज़ स्पीड पर ब्लास्ट होने के कारण टायर के टूटे हुए टुकड़े और मेटल पार्ट्स लेफ्ट विंग के निचले हिस्से से बहुत तेज़ी से टकराने लगते है
ये टुकड़े इतनी तेज़ फाॅर्स के साथ विंग्स से टकराते है जिसके कारण विंग्स में लगे फ्यूल टैंक में छेद हो जाता है। और टैंक पूरा भरा होने के कारण फ्यूल बहुत ही तेज़ी से लीक होने लगता है
टायर के टुकड़े और मेटल पार्ट्स के टकराने के कारण कॉनकॉर्ड का लैंडिंग गियर भी डैमेज हो जाता है और उसमें लगी कुछ वायर्स टूट कर विंग्स के नीचे लटकने लगी है। एक दूसरे से टकराने के कारण उन वायर्स में बहुत ही तेज़ स्पार्क होने लगता है। टैंक से लीक होता हुआ फ्यूल जैसे ही उन वायर्स के स्पार्क से टकराता है तो फ्यूल में आग लग जाती है
टायर फटने के कारण रनवे पर भागता हुआ कॉनकॉर्ड अब लेफ्ट साइड की तरफ मुड़ने लगता है जिसे कण्ट्रोल करने के लिए कप्तान रडर पेडल को एडजस्ट करने की कोशिश करता है।
टायर्स के टूटे हुए टुकड़े के साथ साथ अब फ्यूल टैंक का धुंआ लेफ्ट साइड में लगे दोनों इंजिन्स के अंदर जाने लगता जिस कारण वो दोनों इंजिन्स अचानक से बंद होने लगते और अपनी पावर खोने लगते है। लेफ्ट साइड के दोनों इंजिन्स बंद होने के कारण अब कॉकपिट में भी इंजन फेलियर का वार्निंग मैसेज आने लगते है
पायलट्स अभी इंजन फेलियर के मैसेज को समझने की कोसिस कर ही रहे थे की अचानक कॉकपिट में इंजन फायर के वार्निंग मैसेज भी डिस्प्ले होने लगते है यहाँ ये सब घटनाए कुछ ही सेकण्ड्स में इतनी तेज़ी के साथ घट रही थी की पायलट्स और फ्लाइट इंजीनियर को कुछ भी समाज ही नहीं आ रहा था।
अब तक कण्ट्रोल टावर में बैठे लोगो को भी रनवे पर दौड़ते कॉनकॉर्ड से निकलती आग की लपटे दिखाई दे चुकी थी। कंट्रोलर ने तुरंत कॉनकॉर्ड के पायलट्स को रेडियो पर इसकी सुचना दी।
लेकिन अब तक कॉनकॉर्ड इतनी स्पीड पर पहुँच चूका था की उसे रनवे पर रोकना नामुमकिन था। अब रनवे भी लगभग ख़तम हो चूका था और प्लेन किसी भी वक़्त एयरपोर्ट बॉउंड्री से टकरा कर क्रैश हो सकता था, ये सब देखते हुए कप्तान ने फाइनली कॉनकॉर्ड को टेकऑफ करवा दिया। एयरपोर्ट के रनवे पर लगी कुछ लाइट्स को तोड़ता हुआ कॉनकॉर्ड आखिरकार हवा में पहुँच गया
लेकिंन दोनों लेफ्ट इंजिन्स फ़ैल होने के कारण आग की लपटों में घिरा कॉनकॉर्ड अब भी लेफ्ट साइड की तरफ झुकता जा रहा था। कॉकपिट में अब भी लगातार इंजन फायर के वार्निंग मैसेज बजते जा रहे थे। फ्लाइट इंजीनियर ने तुरंत फायर प्रोसीजर को फॉलो करते हुए इंजन थ्रस्ट को कम करके फायर लेवेर्स को एक्टिवटे कर दिया।
750 मीटर प्रति सेकण्ड्स की रफ़्तार से उप्पर जाता हुआ कॉनकॉर्ड अब तक लगभग 100 फ़ीट की ऊंचाई पर पहुँच चूका था।
दोनों लेफ्ट इंजिन्स फ़ैल होने के कारण जहाँ स्पीड बहुत तेज़ी से काम हो रही थी , वही आग के कारण प्लेन के लेफ्ट साइड का विंग और दूसरे कण्ट्रोल यूनिट भी बहुत डैमेज हो चुके थे। पायलट प्लेन को कण्ट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन प्लेन लेफ्ट साइड की तरफ चुकता ही जा रहा था। अब तक प्लेन लगभग 113 डिग्री लेफ्ट साइड में चूक चूका था.
पायलट अभी भी कॉनकॉर्ड को किसी तरह सीधा करने की कोशिश कर रहे थे , लेकिंग दुर्भाग्य से अब बहुत देर हो चुकी थी. लगभग 4:44 मिनट पर एयरपोर्ट से कुछ ही दूरी पर कॉनकॉर्ड गोनेसे एरिया में स्थित एक होटल से टकरा कर क्रैश हो गया। पूरा फ्यूल भरा होने के कारण क्रैश के तुरंत बाद कॉनकॉर्ड में आग लग गयी।
दुर्भाग्य से कॉनकॉर्ड में सवार किसी भी पैसेंजर या क्रू मेंबर को बचाया नहीं जा सका। इस भनायक दुर्घटना में कॉनकॉर्ड में सवार 109 लोगो के साथ साथ होटल के 4 कर्मचारी भी मारे गए।
सबकी कल्पनाओं से परे ये एक बहुत ही भयानक दुर्घटना थी और तुरंत ही इसकी जांच शुरू कर दी गयी.
अपनी जांच के बाद इन्वेस्टीगेशन टीम ने कहा की कॉनकॉर्ड के क्रैश होने का मुख्य कारन उसके टायर का फटना था। जिसे बाद उसके फ्यूल टैंक में आग लग गयी और दोनों इंजिन्स फ़ैल हो गए।
इस रिपोर्ट के तुतंत बाद कॉनकॉर्ड का फ्लाइंग सर्टिफिकेट कैंसिल कर दिया गया और कंपनी को कॉनकॉर्ड के स्ट्रक्चर में बहुत सारे महत्वपूर्ण बदलाव करने का निर्देश दिया गया। इन सभी बदलावो के कारण पूरी दुनिया में लगभग १ साल तक सभी कॉनकॉर्ड फ्लाइट को बंद कर दिया गया।
ये सभी बदलाव करने के बाद भी फाइनली 24ओक्टोबर 2003 को ब्रिटिश एयरवेज ने अपनी आखिरी कॉनकॉर्ड फ्लाइट को भी बंद कर दिया। और इसी के साथ कॉनकॉर्ड के सुपरसोनिक युग का अंत हो गया।
हर बड़ी Air Travel दुर्घटना के बाद पूरी दुनिया में उससे सबक लिया जाता है ऐसे नए नियम बनाये जाते है की ऐसी दुघ्टना दुबारा ना हो। इसी कारण से Air travel आज दुनिया में travel करने का सबसे सुरक्षित माध्यम है। इसलिए हतास न हो और ख़ुशी ख़ुशी परिवार के साथ अपनी हवाई यात्रा का आनंद ले।