INTODUCTION
रात के अँधेरे में 37000 फ़ीट पर उड़ान भरते हुए ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट को अचानक एक तेज़ रौशनी के गुब्बार ने अपने आगोश में ले लिया।
जिसके कारन प्लेन के सभी इलेक्ट्रिक सिस्टम्स फ़ैल हो गए और एक के बाद एक चारो इंजिन्स फ़ैल हो गये।
क्या इस प्लेन पर दूसरी दुनिया के एलियंस ने हमला कर दिया था. प्लेन में सवार 263 लोगो का क्या हुआ ?
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Case Study
24 June 1982 , दुनिया के सबसे Busy Airports में शामिल London का Heathrow एयरपोर्ट।
ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट 009, मुंबई से होते हुए ऑकलैंड जाने की तैयारी कर रही थी.
बोइंग 747 -200 Series का ये आधुनिक प्लेन था जिसमे रोल्स रॉयस ब्रांड के चार इंजिन्स लगे हुए थे।
अपनी यात्रा के पहले और दूसरे चरण में इस प्लेन ने लंदन से मुंबई और फिर मुंबई से Kuala Lumpur की यात्रा सकुशल पूरी की।
अब अपनी यात्रा के तीसरे चरण के लिए इस प्लेन को Kuala Lumpur से Perth जाना था। यात्रा के इस चरण को पूरा करने के लिए प्लेन में नए पायलट्स और क्रू मेंबर्स को नियुक्त किया गया था। यहाँ से प्लेन को उड़ाने की जिम्मेदारी 41 वर्षीय Captain Eric Henry Moody, 32 वर्षीय Senior First Officer Roger Greaves और 40 वर्षीय Senior Engineer Officer Barry Townley-Freeman की थी!
नोर्मल फ्लाइट प्रिपरेशन प्रोसेस को पूरा करने के बाद नए पायलट्स और क्रू मम्बेर प्लेन को अगली उड़ान के लिए तैयार करने में लग गए। अपने निर्धारित वक़्त पर फ्लाइट ने Kuala Lumpur एयरपोर्ट से टेक ऑफ किया।
एयर ट्रैफिक कण्ट्रोल टावर द्वारा बताये गए रूट को फॉलो करते हुए प्लेन लगभग 37000 फ़ीट की उचाई पर पहुँच गया और पायलट ने प्लेन को ऑटो मोड पर दाल दिया। फ्लाइट में सब कुछ नार्मल तरीके से चल रहा था और सभी पैसेंजर्स आराम से फ्लाइट में ड्रिंक्स और भोजन Services का आनंद ले रहे थे
रात के लगभग 8 बजकर 40 मिनट्स पर प्लेन जब इंडियन Ocean के ऊपर से गुजर रहा था तभी अचानक पायलट्स को विंडस्क्रीन पर बहुत ही तेज़ रौशनी दिखाई थी और देखते ही देखते अजीब सी दिखने वाली रोशनी के बादल ने पूरे प्लेन को अपने आगोश में ले लिया।
शुरुवात में पायलट्स को लगा की ये शायद बादलो से निकलने वाली लाइट होगी लेकिन फ्लाइट में लगा Weather सेंसर किसी भी तरह के बादल और ख़राब मौसम की जानकारी नहीं दे रहा था। अपने करियर में किसी भी पायलट ने इस तरह की लाइट्स को नहीं देखा था जिसके कारण सभी के चेहरों पर एक अजीब तरह का डर और परेशानी दिखाई दे रही थी।
सिचुएशन को समझने के लिए Captain ने First Officer को Passenger Cabin में जा कर चेक करने के लिए कहा और वहां पहुँच कर first officer ने जो नज़ारा देखा तो उसके होश उड़ गए।
Passenger Window से बाहर झांकने पर first officer को विंग्स के चारो तरफ एक चमचमाती हुई तेज़ लाइट दिखाई दे रही थी. ऐसा लग रहा था मानो प्लेन पर एलियंस ने हमला कर दिया है और प्लेन को अपने काबू में ले लिया है
इंजिन्स से भी अजीब तरह की रौशनी और चमकीला धुआं निकल रहा था। वैसा ही धुआँ धीरे धीरे पैसेंजर केबिन में भी आने लगा और देखते ही देखते पूरा प्लेन एक अजीब से धुँए और Smell से भर गया।
प्लेन के चारो तरफ से छोटे छोटे पथरों के टकराने जैसी आवाज़ आ रही थी जिसके कारण Passengers में बहुत ज्यादा खबराहट होने लगी थी।
पायलट्स अभी इस अजीब सी लाइट और दुहें को समझने की कोशिस कर ही रहे थे की तभी अचानक फ्लाइट इंजीनियर घबरा कर कहता है की इंजन नंबर 1 बंद हो गया है। Captain ने तुरंत ही फ्लाइट इंजीनियर को फ़ैल इंजन को रीस्टार्ट करने के लिए कहा।
इससे पहले की फ्लाइट इंजीनियर इंजन नंबर 1 को रीस्टार्ट कर पता तभी अचानक इंजन नंबर 2 , 3 और 4 भी फ़ैल हो गए। ये सब देखते ही First Officer ने तुरंत May-Day कॉल कर दिया। जिसका मतलब था की अब प्लेन कभी भी क्रैश हो सकता है.
चारो इंजिन्स से अजीब तरह की लाइट और आग की लपटे निकल रही थी , जिन्हे देख कर Passengers के बीच मैं दहशत और घबराहट इस कदर बढ़ गयी की उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए आखिरी खत लिखना शुरू कर दिया।
पायलट्स अभी भी इंजिन्स को रीस्टार्ट करने की लगातार कोशिश कर रहे थे ताकि चारो में से कोई एक इंजन भी रीस्टार्ट हो जाए तो किसी तरह प्लेन को उड़ाया जा सकता है। लेकिन कहते है ना की मुसीबत कभी अकेले नहीं आती और वही इस प्लेन के साथ भी हुआ। पायलट्स अभी इंजन को रीस्टार्ट करने की कोशिश कर रहे थे की अचानक से प्लेन के सभी एलेक्ट्रॉनिक सेंसर्स और सिस्टम बंद हो गए।
प्लेन के चारो इंजन और Auxilary Power Unit के फ़ैल होते ही इंजन में ऑक्सीजन का दबाव काम हो गया जिसके कारण केबिन में ऑक्सीजन मास्क लटकने लगे ताकि पैसेंजर्स और क्रू को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन मिल सके अचानक आयी इन सब मुसीबतों से पायलट्स भी काफी घबरा गए थे लेकिन थोड़ी ही देर बाद पायलट्स ने अपने आप को सँभालते हुए फिर से Situation को सँभालने की कोशिश की ।
बिना इंजन पावर के प्लेन अब 37000 फ़ीट से 26000 फ़ीट पर आ गया था। बिना इंजिन्स प्लेन अब ग्लाइड करते हुए आगे तो बढ़ रहा था लेकिन उससे कहीं ज्यादा Speed से वो नीचे आ रहा था।
अब कप्तान की सबसे बड़ी कोशिश ये थी की किसी भी तरह से प्लेन को ग्लाइड करते हुए नजदीक के किसी एयरपोर्ट पर लैंड करा दिया जाए। उस वक़्त सबसे नज़दीक Jakarta International Airport था।
प्लेन की हाइट और स्पीड को कैलकुलेट करके कप्तान ये जानने की कोशिश करने लगा की बिना इंजिन्स के प्लेन कितनी दूर जा सकता है। यहाँ हम आपको बताना चाहेंगे की इस प्लेन की ग्लाइड ratio 15 : 1 थी। जिसका मतलब था की अगर प्लेन 15 मीटर आगे की तरफ जायेगा तो 1 मीटर नीचे की तरफ आएगा।
Calculation करने के बाद एक बार फिर से कप्तान को निराशा हाथ लगी क्योंकि प्लेन की Current Location और Jakarta International Airport के बीच में बहुत ही ऊँचा पहाड़ था जिसे बिना इंजन के ग्लाइड करते हुए पार नहीं क्या जा सकता था
कप्तान ने Copilot और Flight Engineer को ब्रीफ करते हुए कहा की अब हमारे पास Risk लेने के अलावा दूसरा और कोई Option नहीं है। हम ग्लाइड करते हुए Engines को रीस्टार्ट करने की कोशिश करते रहेंगे। अगर 12000 फ़ीट की हाइट पर आने तक भी Engines Restart नहीं हुए तो हम प्लेन को समुन्दर में लैंड करवा देंगे।
कप्तान ने पैसेंजर केबिन में Annoucement करते हुए कहा की मैं आपका Captain बोल रहा हूँ। प्लेन के इंजन में कुछ खराबी आ गयी है और हम लोग उसे ठीक करने की कोशिश कर रहे है। आप सबसे अनुरोध है की हिम्मंत से काम लेते हुए शांति बांये रखे। पैसेंजर्स अब अपनी आंखें बंद करके भगवान् को याद करने लगे। सभी को अभी भी किसी चम्तकार की आशा थी की प्लेन सही सलामत लैंड कर जाये
इसी के साथ केबिन क्रू भी प्लेन को समुन्दर में लैंड करवाने की तैयारी करने लगा धीरे धीरे ग्लाइड करते हुए प्लेन अब नीचे आने लगा। और जैसे जैसे प्लेन नीचे आता जा रहा था वो अजीब रौशनी भी काम होती जा रही थी। 13000 फ़ीट पर आते आते वो अजीब रौशनी बिलकुल गायब हो चुकी थी।
प्लान के मुताबिक जब फ्लाइट इंजीनियर ने आखिरी बार इंजन को restart करने की कोशिश की तो एक चमत्कार हुआ और अचानक से सभी इंजन रीस्टार्ट हो गए। सभी इंजिन्स के स्टार्ट होते ही प्लेन ऊपर उड़ने लगा और उस पहाड़ के ऊपर से आराम से गुज़र गया।
सभी इंजिन्स के स्टार्ट होते ही कप्तान को लगा की अब सब ढीक हो गया है और कप्तान अब फिर से प्लेन को उसकी निर्धारित हाइट 37000 फ़ीट पर ले जाने लगा। लेकिन जैसे जैसे प्लेन ऊपर जाने लगा वो अजीब सी रौशनी धीरे धीरे वापस बढ़ने लगी और प्लेन के इंजिन्स फिर वे वार्निंग देने लगे।
ये देखते ही Captain ने प्लेन की हाइट को कम करके उसे 12000 फ़ीट पर Fix कर दिया जहाँ फिर से वो अजीब लाइट ख़तम हो गयी और Engines वापिस से काम करने लगे कप्तान अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे और उन्होंने प्लेन को Jakarta एयरपोर्ट पर लैंड करने की तैयारी शुरू कर दी ।
लेकिन अभी भी एक मुसीबत बाकी थी , उस अजीब लाइट के कारण प्लेन की विंडस्क्रीन एकदम धुंदली हो गयी थी जिसके कारण कुछ भी देख पाना नामुमकिन हो रहा था। शुरुआत में पायलट ILS सिस्टम को Use करके ऑटो लैंडिंग करवाना चाहते थे , लेकिन बदकिस्मती से उस दिन एयरपोर्ट पर ILS लैंडिंग सिस्टम काम नहीं कर रहा था।
अब पायलट्स के पास एक ही रास्ता था की वो ट्रैफिक कंट्रोलर और फ्लाइट इंस्ट्रूमेंट के सहारे ही अंदाज़ा लगा कर लैंडिंग करे पायलट्स की सूझ भुज और हिम्मत के कारण फाइनली प्लेन ने सही सलामत एयरपोर्ट पर लैंड कर लिया।
तब जाकर सबकी जान में जान आयी। ये किसी चम्तकार से काम नहीं था की 37000 फ़ीट पर चारो इंजिन्स और सभी सिस्टम्स Fail हो जाने के बाद भी पायलट्स एयरप्लेन को सही सलामत लैंड कर गए और किसी को खरोंच तक नहीं आयी। अपनी सूज भुज और हिम्मत के लिए पायलट्स और फ्लाइट क्रू को बहुत से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया
इस दुर्घटना के बाद जब प्लेन की जांच की गयी तो पाया गया की पूरे प्लेन पर छोटे छोटे नुकीले पथरो से रगड़ने जैसे निसान है। ऐसे ही निसान प्लेन की विंडस्क्रीन पर भी थे जिसके कारण विंडस्क्रीन धुंदली हो गयी थी। प्लेन पर पाए गए Particles की जांच करने के बाद पता चला की ये वॉलकनिक Ash के पार्टिकल्स है। इस जानकारी के बाद इस दुर्घटना के रहस्यों से पर्दा उडता चला गया। खोजबीन करने पर पता चला की जाकर्ता के पहाड़ियों में एक वोल्केनो में विस्फोट के बाद लावा और धुआं निकल रहा था। इस वॉलकनिक Ash में Sandust और माइक्रो Sulphite पार्टिकल्स बहुत जयादा मात्रा में उपस्तिथ थे।
यही Sandust और Micro Sulphite पार्टिकल्स हवा के साथ साथ 37000 फ़ीट की उचाई पर पहुँच गए थे। क्योंकि इस वॉलकनिक ऐश में किसी भी तरह के Water Particles नहीं थे इसलिए प्लेन का Weather Radar System भी इन्हे डिटेक्ट नहीं कर पाया।
यही पार्टिकल्स प्लेन की Body और Windscreen से टकरा कर फ़्लैश लाइट इफ़ेक्ट Produce कर रहे थे। यही वॉलकनिक Ash जब प्लेन के इंजन में गयी तो इसमें मौजूद Sulphite पार्टिकल्स इंजन की गर्मी से पिघल कर इंजन में जमा होने लगे और सभी इंजिन्स फ़ैल हो गए। और इन्ही Sandust और Sulphite Particles से पैदा हुए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इफ़ेक्ट के कारण प्लेन के बाकी इलेक्ट्रिक सिस्टम और APU यूनिट भी fail हो गए थे।
12000 फ़ीट पर आने के बाद ये Sulphite पार्टिकल्स जब टूट कर इंजिन्स से बहार निकल गए तो सभी इंजिन्स दोबारा से स्टार्ट हो गए थे। इस दुर्घटना के बाद इस एयर रूट को बंद कर दिया गया और इस एरिया के आस पास सभी वोल्केनो को Regualraly Monitor किया गया ताकि इस तरह का हादसा फिर से न हो