INTRODUCTION
तूफानी रात में 260 km /h की Speed से दौड़ते एयरप्लेन ने जैसे ही रनवे तो Touch किया तो पैसेंजर की जान में जान आयी और सबने सोचा की वो सब सकुशल अपनी मंजिल पर पहुँच गए है। लेकिन रनवे पर दोड़ता प्लेन रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था और फिर अचानक वो हुआ जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की थी
Case Study
7 August 2020 United Arab Amirates का दुबई एयरपोर्ट
एयर इंडिया एक्सप्रेस की Flight Number 1344 अपनी इंटरनेशनल उड़ान के लिए इंडिया के केरल में स्तिथ कालीकट एयरपोर्ट जाने की तयारी कर रही थी.
ये फ्लाइट भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे वन्दे भारत मिशन का हिस्सा था जिसका मकसद Covid महामारी के दौरान विदेशो में फेज हुए भारतीयों को सकुशल स्वदेश वापिस लाना था। वन्दे भारत मिशन के अन्तरगत उन दिनों भारत सरकार ने कई देशो से अपने नागरिको को निकालने का अदम्य कार्य किया था जिसकी भारत के अलावा विदेशो में भी सराहना की गई थी
बोइंग 737 -800 सीरीज का ये एयरप्लेन VT -AXH नाम से रजिस्टर्ड था जिसका सीरियल नंबर 36323 और लाइन नंबर 2108 था लगभग 13 साल 9 महीने पुराना ये प्लेन नवंबर 2006 में एयर इंडिया को दिया गया था उस दिन फ्लाइट में 184 पैसेंजर्स के साथ 6 क्रू मेंबर्स सवार थे।
फ्लाइट का नेतृत्व 59 वर्षीय कप्तान D V Sathe कर रहे थे जो एयर इंडिया एक्सप्रेस Join करने से पहले इंडियन एयरफोर्स में बतौर Test Pilot काम कर चुके थे। कप्तान D V Sathe के पास 10848 घटें का कुशल Flight Experience था जिसमे से 4612 घंटे का Experience इसी तरह के बोइंग 737 -800 प्लेन को उड़ाने का था
इस फ्लाइट से पहले भी कप्तान D V Sathe 27 बार कलकत्ता एयरपोर्ट पर सकुशल लैंडिंग कर चुके थे जिसके कारण उन्हें एयरपोर्ट की Sitaution और लैंडिंग के हालात का काफी अच्छा अनुभव था।
फ्लाइट में उनका साथ 32 वर्षीय Co-Pilot First Officer अखिलेश कुमार दे रहे थे जिनके पास 1989 घंटो का फ्लाइट Experience था। जिसमे से 1723 घंटो का Experience इसी तरह के बोइंग 737 -800 प्लेन को उड़ाने का था
फ्लाइट की तयारी करते वक़्त Weather रिपोर्ट्स के माध्यम से पायलट्स को पता चलता है की उनके आज के फ्लाइट पाथ में कुछ तेज हवाओ के साथ साथ बारिश की भी आशंका है , जिसको मद्देनज़र रखते हुए कप्तान प्लेन में पर्यापत मात्रा में एक्स्ट्रा फ्यूल डलवाते है ताकि कालीकट एयरपोर् पर ख़राब मौसम के कारण अगर उन्हें किसी दूसरे एयरपोर्ट पर लैंडिंग के लिए जाना पड़े तो वो आसानी से जा सके।
दोपहर के लगभग 2 बजकर 5 मिनट पर प्लेन ने अपना Roloff प्रोसेस शुरू किया टैक्सी वे से होते हुए फ्लाइट रनवे पर पहुँच गयी और ATC टावर से क्लेरेन्स मिलने के बाद लगभग 2 बजकर 15 मिनट पर एयर इंडिया एक्सप्रेस Flight Number 1344 ने दुबई एयरपोर्ट से उड़ान भरी
कुछ हलके फुल्के Turbulance के अलावा फ्लाइट नार्मल तरीके से अपने रूट को फॉलो करते हुए कालीकट एयरपोर्ट की तरफ बढ़ने लगी। अपने निर्धारित फ्लाइट Path के अनुसार इसे रात के 7 बजकर 40 Minute पर कालीकट एयरपोर्ट पहुंचना था. अपनी केस स्टडी में आगे में बढ़ने से पहले हमे थोड़ा कालीकट एयरपोर्ट के बारें में समझना होगा जो इस एक्सीडेंट के कारणों को अछि तरह से समझने के लिए बहुत जरूरी है
Kerala का कालीकट एयरपोर्ट एक उची पहाड़ी के ऊपर बना हुआ टेबल टॉप एयरपोर्ट है जिसके दोनों तरफ गहरी खाई है. Table Top एयरपोर्ट होने के कारण एयरपोर्ट का Runway and Safety Area भी बहुत काम है।
Runway and Safety Area रनवे के दोनों तरफ का वो Extra Area होता है जिसे इसलिए बनाया जाता है की अगर कोई प्लेन किसी कारण से रनवे पूरा होने से पहले नहीं रुक पाए तो वो इस एक्स्ट्रा जगह का इस्तेमाल करे रुक सके।
दुर्भाग्य से उस दिन रनवे की सेफ्टी और Center लाइट्स भी ठीक तरीके से काम नहीं कर रही थी जिनका इस्तेमाल करके पायलट्स रात के अँधेरे में रनवे को अच्छी तरह देख और समझ कर लैंडिंग करते है।
अपनी इसी भौगोलिक स्धिति के कारण इस एयरपोर्ट पर फ्लाइट को लैंड और टेकऑफ करना अपने आप में काफी Challenging काम है जिसके कारण यहाँ लैंड करते वक़्त पायलट्स को बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरुरत होती है। इसीलिए एयर इंडिया एक्सप्रेस ने कालीकट एयरपोर्ट को Category C में डाला हुआ था जहाँ सिर्फ फ्लाइट के Captain को ही लैंडिंग करने की अनुमति थी
वापस आते है अपनी केस स्टडी पर , शाम के करीब 6 बजकर 40 मिनट पर Air India Express Flight अपना Descend प्रोसेस शुरू करती है।
केरला में मानसून Season होने के कारण उस दिन बारिश और बादलो के साथ तेज हवाएं भी चल रही थी जिसके कारण पायलट्स बार बार ATC कण्ट्रोल टावर से बातचीत करके मौसम है हाल पूछ रहे थे ताकि वो घने बादलो और तूफान से बच कर प्लेन को लैंड करवा सके. यहाँ ये बात भी गौर देने लायक है की इस ख़राब मौसम में ATC टावर से लगातार मौसम की जानकारी लेते रहने के कारण पायलट्स बहुत ही ज्यादा बिजी थे जिसके कारण लैंडिंग प्रोसेस की तकनिकी बारीकियों पर ध्यान देना काफी मुश्किल हो रहा था.
ख़राब मौसम और बादलो का सामना करते हुए पायलट्स कालीकट एयरपोर्ट के पास पहुँच गए और ATC Tower से लैंडिंग की Permission मिलने तक एयरपोर्ट का चक्कर लगे लगे। ये एक नार्मल प्रोसेस होता है जिसमे एयरपोर्ट के रनवे पर लैंडिंग परमिशन मिलने तक ऐरोप्लॅन्स हवा में चक्कर लगा कर अपनी बारी का इंतज़ार करते है।
कालीकट एयरपोर्ट पर सिर्फ एक ही रनवे है जिसके दोनों छोर को रनवे 28 और रनवे 10L के नाम से पुकारा जाता है. ATC कंट्रोलर जिस भी रनवे नंबर पर लैंडिंग की परमिशन देते है प्लेन को रनवे के उसी तरफ से आ कर लैंड करना होता है
इंतज़ार के कुछ देर बाद ATC टावर एयर इंडिया फ्लाइट को Runway 28 पर Tear Drop लैंडिंग की अनुमति देते है. इस तरह की Approach में प्लेन रनवे के ढीक ऊपर से गुज़रते हुए आगे जा कर 360 डिग्री के Opposite डायरेक्शन में टर्न लेता है जिसके कारण एक Tear Drop के आकार जैसा पथ बनता है, इसीलिए इसे Tear Drop Approach कहते है
ऐसा करने का मैं कारण ये था ताकि सामने से आने वाली तेज़ हवाएं Head Wind इफ़ेक्ट दे कर लैंडिंग के बाद प्लेन की स्पीड को कम कर दे। अपनी Tear Drop Approach को फॉलो करते हुए प्लेन अब धीरे धीरे रनीचे आ कर रनवे 28 की तरफ बढ़ने लगता है। प्लेन जब लगभग 1800 फ़ीट की हाइट पर होता है तो कप्तान साइड के विंडस्क्रीन वाइपर में कुछ खराबी आ जाती है।
इतनी तेज़ बारिश में विंडस्क्रीन वाइपर के काम न करने के कारण कप्तान को रनवे देखने में काफी परेशानी हो रही होती है और जैसे जैसे प्लेन और नीचे आता जाता है है तो कप्तान D V Sathe ढीक तरीके से रनवे न देख पाने के कारण लैंडिंग Cancel करने का फैसला लेते है और प्लेन को दोबारा से ऊपर उड़ा कर रनवे का एक और चक्कर लगाने लगते है।
कप्तान कण्ट्रोल टावर को कॉल करके बताते है की ख़राब मौसम के कारण रनवे की visibilty ढीक नहीं है जिस कारन से उन्होंने प्लेन की लैंडिंग कैंसिल करके दोबारा से एयरपोर्ट का एक और चक्कर लगाने का फैसला किया है।
ATC कंट्रोलर Captain से पूछते है की क्या वो इस बार रनवे 28 की बजाये रनवे 10 से लैंडिंग करना चाहेंगे तो कप्तान भी उनकी बात मान कर रनवे 10 से लैंडिंग के लिए तैयार हो जाते है.
यहाँ पर एक बात ये भी ध्यान देने वाली है की रनवे 28 पर लैंडिंग करते वक़्त जो हवा प्लेन के सामने से आ कर प्लेन की स्पीड को कम कर रही थी ,
वही रनवे 10 की तरफ से वही हवा प्लेन के पीछे से आ कर उसकी स्पीड को बढ़ाने वाली थी।
तेज़ बारिश और घने बादलो से गुज़रते हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट रनवे 10 पर लैंडिंग के लिए बढ़ने लगती है। तेज़ बारिश , घने बादल और Windscreen Wiper के ढीक से काम न करने के कारण कप्तान अभी भी रनवे को ढीक से नहीं देख पा रहे थे . हम और आप शायद इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते की ऐसे हालत में लैंडिंग करते वक़्त पायलट को कितनी स्ट्रेस से गुज़रते हुए तेज़ी से Decission लेने होते है।
प्लेन तेज़ी से रनवे की तरफ बढ़ तो रहा था लेकिन ख़राब Visibilty होने के कारण प्लेन अपने glide स्लोप से ऊपर चला गया। ग्लाइड स्लोप से ऊपर जाने के कारण प्लेन रनवे की शुरआत में ही लैंड नहीं कर पाया। प्लेन अब भी तेज़ स्पीड से रनवे से करीब 30 फ़ीट ऊपर हवा में ही उड़ रहा था।
रनवे धीरे धीरे ख़तम होता जा रहा था लेकिन अभी भी प्लेन के टायर्स रनवे को नहीं छू पाए थे। रनवे को खत्म होता देख First Officer ने घबराते हुए Captain को दोबारा से प्लेन को हवा में ऊपर उड़ाने के लिए कहा।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, लगभग आधे से ज्यादा रनवे ख़तम होने के बाद आख़िरकार प्लेन के टायर्स ने रनवे को टच कर लिया। 260 km / h की रफ़्तार से प्लेन रनवे के छोर की तरफ दौड़ रहा था। कप्तान और First अफसर apni पूरी ताकत लगा कर प्लेन को रोकने की कोशिश कर रहे थे।
और फिर वही हुआ जिसका डर था , रनवे पर लगी Lights और Boundry लाइन को तोड़ता हुआ प्लेन सीधा जा कर खाई में गिर गया। इतनी स्पीड और उचाई से गिरते ही प्लेन के कई टुकड़े हो गए। दोनों पायलट्स के साथ साथ प्लेन में बैठे हुए 19 यात्रिओं को इस दुखद हादसे में अपनी जान गवानी पड़ी।
तेज़ बारिश और तूफ़ान के कारण एम्बुलेंस और एयरपोर्ट सिक्योरिटी सर्विसेज को घटना स्थल तक पहूंचने में थोड़ी देर लगी लेकिन तब तक एयरपोर्ट के आस पास रहने वाले लोग भाग कर घटना स्थल पर पहुँच गए और सभी घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाने का काम शुरू कर दिया गया। कुछ ही देर में एम्बुलेंस और सिक्योरिटी सर्विसेज भी घटना स्थल पर पहुँच गए और तेज़ी से घायलों को रेस्क्यू करने का काम शुरू कर दिया गया।
Director General of Civil Aviation की 2011 की रिपोर्ट के अनुसार कालीकट एयरपोर्ट इंडिया के सबसे खतरनाक एयरपोर्ट में शामिल है. Ministry ऑफ़ Civil Aviation की सिक्योरिटी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा की बारिश के मौसम में कालीकट एयरपोर्ट पर प्लेन की लैंडिंग को बंद कर देना चाहिए।
घटना के तुरंत बाद Directorate General of Civil Aviation (DGCA) ने प्लेन के ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वौइस् रिकॉर्डर को बरामद कर इसकी जांच शुरू कर दी। प्रारंभिक जांच में पाया गया की लैंडिंग के दौरान 450 मीटर की हाइट पर प्लेन की स्पीड लगभग 360 km /h थी और रनवे पर हवाएं भी बहुत तेज़ थी. तेज़ स्पीड और अपने ग्लाइड स्लोप से ऊपर होने के कारण प्लेन रनवे पर काफी आगे जा कर लैंड हुआ. रनवे पर मौजूद रबड़ के टुकड़ो और पानी के कारण प्लेन के टायर रनवे पर सही तरह से पकड़ नहीं बना पाएं और लैंडिंग के बाद प्लेन रुक नहीं पाया।
इस दुर्घटना ने कालीकट एयरपोर्ट के सुरक्षा मानकों पर भी कई सवाल उठाये और एयरपोर्ट सुरक्षा में बहुत सारे जरूरी बदलाव करने के निर्देश दिए गए