CASE STUDY
ऊँची ऊँची इमारतों और घनी आबादी वाले हांगकांग शहर के बीचो बीच बना हुआ Kai Tak एयरपोर्ट अपने आप में किसी अचम्बे से कम नहीं था।
हालाँकि आज इस एयरपोर्ट को बंद हुए 25 साल से भी ज्यादा का समय हो चूका है लेकिन आज भी इस एयरपोर्ट के बारे में बात करते हुए Hongkong शहर के लोगो और इस एयरपोर्ट पर लैंड करने वाले पायलट्स के दिल में एक सिहरन सी दौड़ जाती है।
इस एयरपोर्ट पर लैंड करना किसी भी पायलट के flying skills और साहस की परिक्षा होती थी। घनी आबादी और ऊँची ऊँची इमारतों के बीच से पायलट को manually control करते हुए प्लेन को इस एयरपोर्ट पर लैंड करना होता था जहाँ किसी भी गलती की कोई गुंजाईश नहीं थी। इस एयरपोर्ट पर लैंड करते हुए प्लेन इमारतों के इतनी नज़दीक से गुज़रता था की प्लेन में बैढे हुए पैसेंजर बिल्डिंग की खिड़की से लोगो के घरो में चलते हुए television तक को देख सकते थे।
ऊँची ऊँची इमारतों और चारो तरफ पहाड़ो से घिरा हुआ ये एयरपोर्ट एक ऐसे आइलैंड पर बना था जो तीन तरफ समुन्दर से घिरा हुआ था।
आमतौर पर किसी एयरपोर्ट पर लैंड करते हुए प्लेन एक सीधे flight route को follow करते हुए प्लेन को धीरे धीरे नीचे लाते हुए रनवे पर लैंड करते है।
लेकिन Kai Tak एयरपोर्ट की north डायरेक्शन में स्तिथ Lion Rock नाम की पहाड़ी और ऊँची ऊँची इमारतों के कारण प्लेन सीदा नीचे आकर रनवे पर लैंड नहीं कर सकते थे।
इसलिए समुन्दर के ऊपर से प्लेन को हांगकांग शहर की left डायरेक्शन से नीचे आते हुए एक sharp right turn लेना होता था.
Right turn लेने के बाद पायलट को ढीक सामने वाली पहाड़ी पर बने हुए एक checkerboard marker को फॉलो करते हुए इमारतों के बीच से प्लेन को बहुत ही सावधानी से नीचे लाना होता था।
इस दौरान नीचे आते हुए प्लेन इमारतों के बेहद नज़दीक से गुज़रता था और पायलट की जरा सी लापरवाही एक बड़े हादसे में बदल सकती थी।
घनी आबादी वाली इमारतों के बीच से Glide path को फॉलो करता हुआ प्लेन जैसे ही उस checkerboard point के नज़दीक पहुँचता था तो पायलट को 47 degree के angle पर एक sharp right turn लेकर प्लेन को kai tak airport के रनवे से align करवाना होता था।
लैंडिंग से महज कुछ सेकंड पहले ऐसा शार्प turn लेना पैसेंजर के साथ साथ किसी भी अनुभवी पायलट के दिल की धड़कन को बड़ा देता था।
ये right turn लेते ही अगले कुछ सेकण्ड्स में पायलट प्लेन को एयरपोर्ट के रनवे से align कर सही point पर लैंड करते थे।
इस दौरान किसी भी गलती या लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं थी , क्योंकि रनवे के तीनो तरफ गहरा समुन्दर था और अगर किसी कारण से भी पायलट प्लेन को रनवे खत्म होने से पहले रोक नहीं पाते तो प्लेन सीधा समुन्दर में गिर सकता था।
4 November 1993, सुबह के लगभग 7 बजे।
China airline 605, Taipei से उड़ कर Honkong Kai Tak एयरपोर्ट पर लैंड करने के लिए आ रही थी।
B -165 नंबर से registered Boeing 747 -400 का ये नया प्लेन 5 महीने पहले ही China airline को दिया गया था और दुर्घटना वाले दिन तक इस प्लेन ने महज 1,969 घंटो की उड़ान भरी थी।
इस विशालकाय और आधुनिक प्लेन में Pratt & Whitney कंपनी के चार PW4056 turbofan engines लगे हुए थे.
प्लेन का नेतृत्व कर रहे 47 वर्षीय कप्तान , जिनका नाम कुछ कारणों से उजागर नहीं किया गया , China join करने से पहले Republic of China Air Force में फाइटर पायलट रह चुके थे।
कप्तान के पास कुल मिला कर 12469 घंटो का flying अनुभव था जिसमे 3,559 घंटो का अनुभव इसी तरह के Boeing 747 प्लेन को उड़ाने का था।
कप्तान की तरह 37 वर्षीय फर्स्ट ऑफिसर भी पहले Republic of China Air Force में फाइटर पायलट थे और उनके पास भी 5705 घंटो का flying experience था।
अपनी फाइनल landing approach में checkerboard marker को फॉलो करते हुए फ्लाइट 605 जब नीचे आ रही थी तो अचानक से मौसम ख़राब हो गया जिसके कारण visibility घट कर 5 किलोमीटर ही रह गई थी।
ख़राब मौसम में इस फ्लाइट से आगे चल रहे एक Mc Donald Duglous प्लेन ने कुछ ही मिनट पहले एयरपोर्ट पर सकुशल लैंड किया था। जिसे देखते हुए फ्लाइट 605 के पायलट को लग रहा था की वो भी बिना किसी परेशानी के लैंड कर जायेंगे।
लेकिन जैसे जैसे प्लेन नीचे आता जा रहा था , मौसम और भी तेज़ी से ख़राब होता जा रहा था।
ATC टावर ने पायलट को मौसम की फाइनल जानकारी देते हुए बताया की एयरपोर्ट के आस पास 25 knots से भी ज्यादा तेज़ हवाएं चल रही है।
मौसम की जानकारी को ध्यान में रखते हुए पायलट अब लैंडिंग checklist के अनुसार सभी कण्ट्रोल settings और airspeed वगैरह को configure करने लगते है।
Flap पोजीशन को 30 डिग्री पर set किया जाता है और लैंडिंग airspeed भी 140 knots set की जाती है।
इसी के साथ साथ speed break को arm position पर सेट किया जाता है ताकि रनवे पर लैंड करते की break automatically apply हो जाये।
checkerboard marker को फॉलो करते हुए फ्लाइट 605 जब लगभग 1000 फ़ीट पर पहुँचती है तो तेज़ हवाओं और बारिश के कारण flight की airspeed को control करने में काफी परेशानी आने लगती है, जिसे देखते हुए कप्तान autopilot mode को disangage करके प्लेन कोmanually control करने का decission लेते है।
airport की difficult landing approach और ख़राब मौसम के कारण हो रही परेशानी में कप्तान को प्लेन की airspeed और altutude वगैरह को monitor करने और समझने में काफी परेशानी हो रही थी।
Boeing 747 के इस आधुनिक कॉकपिट में attitude , airspeed और altitude एक ही screen पर display होते थे. और चूँकि तेज़ हवाओं के कारण airspeed बार बार change हो रही थी शायद इसी कारण से कप्तान को display readings को सही तरह से समझने में परेशानी आ रही थी। लेकिन First Officer की help से कप्तान किसी तरह airspeed को manage कर रहे थे।
checkerboard marker के नज़दीक पहुँच कर फ्लाइट जैसे ही रनवे के लिए sharp right turn लेती है तो तभी कॉकपिट में windshield alert warning alarm बजने लगता है। इसी के साथ साथ ground proximety warning और glide slope disallignment warning alarm भी अचानक बजने लगते है
इस तरह की IGS लैंडिंग approach में जब प्लेन जमीन के इतना नज़दीक होता है तो इस तरह की वार्निंग का आना कोई ख़ास परेशानी नहीं होती और कप्तान प्लेन को रनवे से allign करने की कोशिश करने लगते है।
सामने से आ रही तेज़ हवाओ के कारण प्लेन को runway centerline से allign करना काफी मुश्किल हो रहा था।
तेज़ी से हिलता हुआ प्लेन रनवे 13 के landing point threshold से लगभग 480 मीटर आगे जा कर रनवे को touch करता है।
Speed Break की auto setting के मुताबिक runway को टच करते ही break automatically apply हो जाते है.
लेकिन रनवे को touch करने के 2 – 3 सेकंड बाद ही जब कप्तान को throttle lever को reverse mode में खींचना चाहिए , गलती से वो उसे forward position में खींच देते है , जिसके कारण Speed Break disangage को जाते है।
हालांकि कप्तान को जल्द ही throttle lever को गलत खींचने का एहसास हो जाता है और वो तुरंत ही उसे reverse mode में खींचते है , लेकिन इस जल्द बाज़ी में उन्हें ये ध्यान नहीं रहता ही Speed Break disangage हो चुके है।
Speed break , auto break और reverse throttle के कारण ही आमतौर पर पायलट प्लेन को आसानी से रनवे पर रोक पाते है।
अब चूँकि गलत throttle के कारन प्लेन के auto break हट चुके थे , तेज़ी से रनवे पर दौड़ता हुआ प्लेन centerline से हट कर थोड़ा right direction में मुड़ने लगता है। कप्तान तेज़ी से प्लेन को centerline में लाने की कोशिश करता है।
तभी अचानक Co – pilot की नज़र auto break पर जाती है और वो तुरंत ही कप्तान को manual ब्रेक लगाने के लिए कहते है।
बिना कोई वक़्त गवाए दोनों पायलट foot break peddle को दबाते है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और कप्तान को एहसास हो गया था की अब प्लेन को रनवे खत्म होने से पहले रोक पाना नामुमकिन है। जिसे देखते हुए वो जान भुज कर प्लेन को left side में मोड़ देते है ताकि प्लेन को समुन्दर में गिरने से बचाया जा सके.
रनवे की boundary को तोड़ता हुई फ्लाइट 605 समुन्दर में जा गिरती है।
ख़राब मौसम के कारण एयरपोर्ट की इमरजेंसी services जिन्हे पहले से ही standby मोड पर रखा गया था वो तुरंत ही fire brigade और ambulance को crash site पर भेज देती है
flight crew तुरंत ही evacuation process को शुरू कर देते है।
इस दुर्घटना में 10 लोगो को सामान्य चोटे आती है। हालाँकि हादसा इतना बड़ा था की इस नए प्लेन को Total Loss declare कर दिया गया था तब भी इसे चमत्कार की कहेंगे की ऐसी दुर्घटना में भी किसी भी पैसेंजर या क्रू member की जान नहीं गयी।
प्लेन को पानी से बाहर निकालकर एयरपोर्ट के एक किनारे पर खड़ा कर दिया गया। प्लेन इतनी बुरी तरह से damage हो चूका था की उसे repair करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था
जांच के अनुसार, जब प्लेन की airspeed control नहीं हो पा रही थी और कॉकपिट में इतने सारे warning alarms बज रहे थे , तो कप्तान को final moment में लैंडिंग को कैंसिल करके go around करना चाहिए था। कप्तान को इसलिए भी हादसे का दोषी माना गया क्योंकि वो First officer को भी अपनी लैंडिंग approach के बारे में सही तरीके से नहीं समझा पाएं।
फ्लाइट 605 की लैंडिंग से कुछ मिनट पहले एक British Airways की फ्लाइट ने भी ख़राब मौसम को देखते हुए अपनी लैंडिंग cancel कर दी थी। इसलिए जांच कर्ताओ ने माना की फ्लाइट 605 के कप्तान को भी अपनी लैंडिंग cancel करनी चाहिए थी।
कप्तान के साथ साथ first officer को भी cockpit में आ रहे warning alarms पर सही तरीके से action ना लेने के लिए कही ना कही दोषी माना गया।
इसी के साथ reverse thrust लीवर को देरी से apply करने के कारण प्लेन को रनवे खत्म से पहले नहीं रोक पाया गया और एयरपोर्ट की boundary को तोड़ता हुआ समुन्दर में जा गिरा।
China airline की भी इस मामले में काफी निंदा की गयी की अपनी पायलट ट्रेनिंग और user manual में भी उन्होंने इस तरह की cross wind landing के बारे में कोई सही जानकारी नहीं दी थी।
घनी आबादी , ऊँची ऊँची इमारतों और पहाड़ो से घिरे होने के कारन Kai Tak airport पर लैंडिंग अपने आप में एक जोखिम भरा काम था।
और इस हादसे के 5 साल बाद 1998 में आख़िरकार इस एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया और वहां से लगभग 29 kilometer दूर एक नए Hong Kong International Airport को शुरू किया गया।