अमेरिका की सबसे भयानक हवाई दुर्घटना | American Airlines 191 | Deadily Crashes
by user · April 8, 2023
INTRODUCTION
क्या हुआ जब रनवे पर टेकऑफ के लिए दौड़ते हुए प्लेन का इंजन ही उखड कर अलग हो गया। क्या पायलट इस प्लेन को कण्ट्रोल कर पाए।
आज आप देखने जा रहे है अमेरिका के इतिहास की सबसे भयानक हवाई दुर्घटना, जिसने एक बार पूरी एयरलाइन इंडस्ट्री को ही तबाह कर दिया था।
CASE STUDY
25 May 1979 , अमेरिका के शिकागो शहर का O ‘Hare इंटरनेशनल एयरपोर्ट। दोपहर के लगभग 2 बजकर 10 मिनट पर American Airlines Flight 191, शिकागो से Los angles जाने की तैयारी कर रही थी। Mcdonell Douglous DC 10 मॉडल का ये हवाई जहाज N110 AA नंबर से रजिस्टर था।
ये हवाई जहाज 25 February 1972 को अमेरिका एयरलाइन्स को दिया गया था और जिसके बाद अपने 7 साल के कैरियर में इस जहाज़ ने केवल 20 हज़ार घंटो की ही हवाई यात्रा की थी।
प्लेन का नेतृत्व 53 वर्षीय pilot Captain Walter L कर रहे थे। Captain Walter L के पास कुल मिला कर 22000 घंटो का फ्लाइंग अनुभव था , जिसमे 3000 घंटो का अनुभव इसी तरह के Mcdonell Douglous DC 10 प्लेन को उड़ाने का था।
इस मॉडल के अलावा भी captain Walter को और भी 17 तरह के अलग अलग विमानों को उड़ाने का अनुभव प्राप्त था। हालांकि उस दिन captain Walter की छुट्टी थी, लेकिन एक दूसरे पायलट के अचानक बीमार पड़ जाने के कारण उन्हें उस दिन इस फ्लाइट को उड़ाने के लिए कहा गया था
फर्स्ट ऑफिसर के तौर पर 49 वर्षीय पायलट James D तैनात थे जिनके पास भी 9275 घंटो का फ्लाइंग अनुभव था।
इसके अलावा फ्लाइट इंजीनियर के तोर पर 56 वरसिये Alfred U भी फ्लाइट में मौजूद थे।
धीरे धीरे कर सभी पैसेंजर और क्रू मेंबर्स फ्लाइट में सवार होने लगे। उस दिन फ्लाइट में 13 क्रू मेंबर्स के साथ 258 यात्री सफर कर रहे थे।
नार्मल तरीके से अपने सभी ग्राउंड tasks पूरे करने के बाद दोपहर के लगभग 2 बजकर 56 मिनट पर प्लेन ने एयरपोर्ट पर अपना rolloff process शुरू किया और एक एक कर सभी तीनो इंजिन्स को स्टार्ट किया।
उस दिन ATC टावर ने Flight 191 को रनवे 32 R से उड़ान भरने की परमिशन दी थी , और जिसके बाद टैक्सी वे से होते हुए प्लेन धीरे धीरे रनवे पर पहुँचता है
लगभग 3 बजे रनवे पर पहुंचने के बाद फ्लाइट ATC टावर से final permission का इंतज़ार करती है।
आमतौर पर किसी भी फ्लाइट के दौरान टेकऑफ और लैंडिंग सबसे महत्वंपूर्ण और मुश्किल क्षण होते है, जहाँ कॉकपिट में बहुत सारे अलग अलग तरह के instruments को मॉनिटर करना होता है, और वही दूसरी तरफ प्लेन की स्पीड और direction इत्यादि को भी कण्ट्रोल में करके सही तरीके से टेकऑफ और लैंड करना होता है।
उस दिन टेकऑफ करने की जिम्मेदारी फर्स्ट ऑफिसर James D की थी जबकि कप्तान Walter L टेकऑफ प्रोसेस और दूसरे फ्लाइट instruments को मॉनिटर कर रहे थे.
Captain ने takeoff के लिए flight crew को फाइनल ब्रीफिंग देने का प्रोसेस शुरू किया।
प्लेन के weight , हवा की स्पीड और सभी emergency situations को धयान में रखते हुए ये decide किया गया की agar 0-80 Knots की स्पीड पर कुछ भी खराबी आती है तो टेकऑफ को कैंसिल कर दिया जायेगा।
80 से 120 knots की स्पीड पर takeoff को तभी कैंसिल किया जायेगा अगर plane के इंजिन्स में आग लग जाये या प्लेन का कोई टायर भट जाए। और फाइनली अगर runway speed 120 knots से ज्यादा हो गयी तो किसी भी हालत में takeoff को कैंसिल नहीं किया जायेगा क्योंकि उस speed पर प्लेन को रोकना नामुमकिन होगा और प्लेन पक्का क्रैश कर जायेगा। इसलिए इतनी speed हो जाने के बाद यही सही होता है की आप takeoof जारी रखे और हवा में जाने के बाद situation को संभालने की कोशिश करे|
और लगभग 3 बजकर 3 मिनट पर ATC कंट्रोलर Flight 191 को टेकऑफ करने की परमिशन देते है।
इंजिन्स की पूरी पावर के साथ धीरे धीरे स्पीड बढ़ाता हुआ प्लेन रनवे पर दौड़ने लगता है. कुछ ही क्षणों में प्लेन 80 knots की स्पीड पर पहुँच जाता है.
कप्तान फर्स्ट ऑफिसर को स्पीड की जानकारी देता है।
तेज़ी से स्पीड बढ़ाता हुआ प्लेन अब 120 knots की स्पीड पर पहुँच जाता है। ये प्लेन की V 1 स्पीड थी जिसके बाद प्लेन को रनवे पर रोकना नामुमकिन होता है। और 140 Knots की स्पीड पर पहुँचने के बाद captain फर्स्ट ऑफिसर को rotate करने का निर्देश देता है , जिसका मतलब है की अब प्लेन को लिफ्ट करके रनवे से उड़ान भर लो।
फर्स्ट ऑफिसर अभी Rotate करने की तैयारी कर ही रहा था की अचानक लेफ्ट साइड के इंजन में बहुत तेज़ आवाज़ सुनाई देती है। और एक झटके के साथ लेफ्ट इंजन उखड कर विंग्स से अलग हो गया।
अब चूँकि पायलट कॉकपिट से विंग को नहीं देख सकते थे तो उन्हें लगा की शायद लेफ्ट साइड का इंजन फेल हो गया है. उन्हें इस बात का बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था की यहाँ तो पूरा इंजन ही उखड कर प्लेन से अलग हो चूका है।
अब तक प्लेन 150 कनोट्स की स्पीड पर पहुँच चूका था की उसे रनवे पर रोकना नामुमकिन था।
ऐसे हालत में पायलट्स के पास सोचने का टाइम नहीं होता और उन्हें पलक छपकने से पहले decission लेने होते है।
अब रनवे भी लगभग ख़तम हो चूका था और प्लेन किसी भी वक़्त एयरपोर्ट बॉउंड्री से टकरा कर क्रैश हो सकता था, ये सब देखते हुए फर्स्ट ऑफिसर ने फाइनली प्लेन को टेकऑफ करवा दिया।
हवा में ऊपर उठता हुआ प्लेन लगभग 300 फ़ीट की उचाई तक पहुँच जाता है.
दूसरी तरफ ATC टावर से कंट्रोलर ये सब नज़ारा अपनी आंखों से देख रहा था। कंट्रोलर बदहवासी की हालत में चिल्ला कर कण्ट्रोल टावर में बैठे दूसरे कर्मचारीओ को प्लेन से अलग हुए इंजन के बारें में बताता है और तुरंत ही इमरजेंसी services को कॉल करता है।
वही प्लेन अब तेज़ी के साथ एक दायी तरफ झुकने लगता है। प्लेन के सभी कण्ट्रोल पैनल और instruments दाएं इंजन की पावर से ही काम करते थे, और इंजन के अलग होने के कारण सभी इंस्ट्रूमेंट बंद हो गए थे. देख़ते ही देख़ते बिना किसी कॉकपिट warning के प्लेन स्टाल कंडीशन में गया और दायीं तरफ झुकते हुए तेज़ी से नीचे गिरने लगा।
और हवा में महज 50 सेकण्ड्स रहने के बाद, ये प्लेन एयरपोर्ट के पास ही बने एक पार्किंग एरिया में गिर कर क्रैश हो गया। संयोग से एयरपोर्ट के पास घूम रहे एक फोटोग्राफर ने ये नज़ारा अपने कैमरे में कैद कर लिया।
दुर्भाग्य से इस हादसे में प्लेन में सवार सभी 271 लोगो की दुखद मृत्यु हो गई। प्लेन में बैठे लोगो के साथ साथ जमीन पर कई लोग भी इस दुर्घटना में घायल हुए , जिनमे से 2 लोगो की इलाज के दौरान मौत हो गई।
अमेरिका के साथ साथ पूरी दुनिया में इस दुखद हादसे की ख़बर से शोक की लहर दौड़ गई।
Flight 191 अमेरिका के इतिहास की आज तक की सबसे भयानक हवाई दुर्घटना थी। और पिछले पांच सालो में D C -10 मॉडल के प्लेन की ये तीसरी बड़ी हवाई त्रासदी थी।
और इस घटना के 2 हफ्ते बाद , 6 june 1979 को Federal Aviation ने सभी D C -10 मॉडल के विमानों का उड़ान सर्टिफिकेट रद्द कर दिया इस के साथ साथ साथ Federal Aviation ने विदेशी उड़ान के D C -10 विमानों को भी अमेरिका airspace में entry करने से मना कर दिया।
इस फैसले के कारण , बहुत सारी एयरलाइन्स कम्पनिआ जो अपनी उड़ानों के लिए D C -10 विमानों का इस्तेमाल करती थी , रातो रात दिवालिया होने की कगार पर आ गई।
ये दुर्घटना इतनी दुखद और भयानक थी की तुरंत ही NTSB ने इसकी जांच शुरू कर दी।
अपनी प्रारंभिक जांच के दौरान NTSB ने पाया की दुर्घटना से महज 2 हफ्ते पहले , 11 मई 1979 को प्लेन का routine चेक किया गया था , जिसके दौरान प्लेन में किसी भी तरह की कोई खराभी नहीं पाई गई थी।
लेकिन जब NTSB ने और पुराने रिकार्ड्स देखने शुरू किये तो बहुत ही चौकाने वाले तथय उजागर होने लगे, जिसके बाद इस दुर्घटना के कारण परत दर परत अपने आप खुलते चले गए। हादसे से लगभग 8 हफ्ते पहले 29 मार्च 1979 को प्लेन की सर्विस की गयी थी। इस सर्विस के दौरान प्लेन के इंजन को उसके wings से अलग किया गया था.
लेकिन जिस procedure का इस्तेमाल करके इंजन को wings से अलग किया गया था वही सबसे बड़ी गलती पायी गई।
Mc Donnel Douglas कंपनी जो इस प्लेन को बनती है उन्होंने इंजन को विंग्स से अलग करने के लिए ख़ास तरह के process का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों के अनुसार इंजन को पहले विंग्स में लगे Pylon से अलग करना चाहिए और उसके बाद pylon को विंग्स से अलग करना चाहिए। इस procedure का इस्तेमाल करके ही इंजन को विंग्स से सही सलामत और सही तरीके से अलग किया जा सकता था। हालाँकि इस पprocess में बहुत ज्यादा वक़्त लगता था और प्लेन के सर्विस का खर्चा काफी बढ़ जाता था।
इसी extra खर्चे को बचाने के लिए, अमेरिकन एयरलाइन्स के साथ साथ और बहुत सारी दूसरी एयरलाइन्स कम्पनिआ एक shortcut का इस्तेमाल करती थी।
इंजन को pylon से अलग करके उतारने की बजाय वो लोग सीदा pylon को ही विंग्स से अलग करके उतार लेते थे और सर्विस करने के बाद pylon समेत ही इंजन को विंग्स से attach कर देते थे। इस प्रोसेस में काफी सारा वक़्त और खर्चा बचता था। लेकिन थोड़ा सा खर्चा बचाने के लिए किया गया ये शॉर्टकट काफी महंगा साबित हुआ जिसकी कीमत 271 लोगो को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
असल में pylon ही भारी भरकम इंजन को विंग्स से जोड़ता है। इसलिए pylon का विंग्स के साथ सही तरह से जुड़े रहना बहुत ही जरूरी होता है। अगर pylon को इंजन समेत ही विंग्स से अलग किया और दोबारा जोड़ा जाये तो इतने भारी वेट को संभालना बहुत ही मुश्किल होता है और थोड़ी सी भी गलती pylon का बैलेंस बिगाड़ सकती है। लेकिन शायद एयरलाइन कम्पनिआ इस बात को अछि तरह से समझ नहीं पायी।
सर्विस के दौरान अमेरिकन एयरलाइन्स ने एक forklift crane की मदद से इंजन समेत pylon को विंग्स से अलग किया था और सर्विस करने के बाद forklift crane की मदद से ही उन्होंने इंजन समेत pylon को उठा कर विंग्स से जोड़ दिया था। लेकिन इस दौरान फोर्कलिफ्ट गलती से pylon के पिछले हिस्से से टकरा गयी थी , जिस कारण से pylon में हलकी सी दरार आ गयी थी। हालांकि ये दरार उस वक़्त इतनी खतरनाक नहीं लगी जिस कारण से maintanenace staff का ध्यान इस पर नहीं गया। लेकिन वक़्त गुजरने के साथ साथ ये दरार इतनी ज्यादा बढ़ती चली गयी की ये इंजन के भार को सहन नहीं कर पायी और उस दुर्भाग्य पूर्ण फ्लाइट के दौरान बायां इंजन टूट कर pylon से अलग हो गया।
प्लेन का ये बायां इंजन ही प्लेन के सभी electric parts को पावर सप्लाई करता था। इसलिए जब इंजन टूट कर अलग हो गया तो कॉकपिट में सभी मॉनिटरिंग उपकरण बंद हो गए। इसी कारन से बिना कोई वार्निंग मैसेज बजे प्लेन stall condition में चला गया और पायलट को इसका पता ही नहीं चला।
अगर पायलट्स को कोई warning मैसेज सुनाई देता तो शायद इस दुर्घटना को टाला जा सकता था।
सर्विस प्रोसेस में हुई इस खामी के पाए जाने के बाद NTSB से अमेरिका में उड़ रहे सभी DC 10 मॉडल के विमानों की जांच की और पाया की ऐसे बहुत से प्लेन थे जिनके pylon भी इस गलत प्रोसेस के कारण क्षतिग्रस्त हो चुके थे।
और आज नहीं तो कल वो विमान भी Flight 191 की तरह कभी भी ऐसी दुर्घटना का शिकार हो सकते थे। Mc Donnel Douglas कंपनी के प्रवक्ता के बताया की उन्होंने कई बार अमेरिकन एयरलाइन्स को बताया था की इस तरह से इंजन को pylon समेत विंग्स से अलग करना सही प्रोसेस नहीं है , लेकिन एयरलाइन्स कम्पनीओ ने उनकी चेतवानी पर ध्याना नहीं दिया।
और Mc Donnel Douglas कंपनी के पास इस तरह के कोई अधिकार नहीं थे की वो एयरलाइन्स कम्पनिओ को इस तरह के गलत process का इस्तेमाल करने से रोक सके। ये पूरी तरह से एयरलाइन कंपनी की मर्ज़ी पर निर्भर करता था की वो किस तरह से अपने प्लेन की सर्विस करती है।
ये सब जानने के बाद जब NTSB को यकीन हो गया की ये दुर्घटना एयरलाइन्स कंपनी के गलत सर्विस प्रोसेस का ही नतीजा है और प्लेन के डिज़ाइन में किसी तरह की कोई खराबी नहीं है तो 13 जुलाई को DC 10 प्लेन पर लगे प्रतिबंदो को फिर से उठा लिया गया और ये प्लेन फिर से उड़ान भरने लगे।
इसके बाद आगे जा कर, एविएशन के इतिहास में ये प्लेन सबसे सुरक्षित प्लेन साबित हुए.
Techo Air चैनल और अपने दर्सको के तरफ से हम इस दुखद हादसे में जान गवाने वाले सभी लोगो की आत्मा की शांति के लिए प्राधना करते है, और भगवान से विनती करते है की ऐसा हादसा फिर कभी ना हो।
आइये हम सब इस दुखद हादसे में जान गवाने वाले सभी लोगो की आत्मा की शांति के लिए प्राधना करे और भगवान से हाथ जोड़ कर विनती करे की ऐसा हादसा फिर कभी ना हो।